CBI Vs WB : सुप्रीम कोर्ट ने CDR रखने के आरोप पर कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त से जवाब मांगा

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23 April 2019 7:34 AM GMT

  • CBI Vs WB : सुप्रीम कोर्ट ने CDR रखने के आरोप पर कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त से जवाब मांगा

    शारदा चिट फंड घोटाले के मामले में सीबीआई ने एक बार फिर अपने रुख पर कायम रहते हुए सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि टेलीकॉम आपरेटरों ने इस संबंध में पूरा कॉल डिटेल रिकॉर्ड कोलकाता पुलिस को सौंपा था लेकिन तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने एक उल्टे मकसद के साथ इसके एक हिस्से को अपने पास रख लिया।

    रिकॉर्ड सीबीआई तक नहीँ पहुँचे
    सोमवार को हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि CDR के अध्ययन और वोडाफोन की जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि मोबाइल कंपनियों द्वारा पूरा रिकॉर्ड दिया गया था, फिर भी उन रिकॉर्डों को सीबीआई के पास नहीं भेजा गया।

    कुमार ने कहा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है
    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजीव कुमार को इन आरोपों का जवाब देने के लिए कहा है। पिछले हफ्ते कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया है कि सीबीआई भाजपा के 2 नेताओं द्वारा एक "बड़ी साजिश" के हिस्से के रूप में "उन्हें" निशाना बना रही है।

    राजीव कुमार की गिरफ्तारी और पूछताछ की मांग
    इससे पहले शारदा चिट फंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की है जिसमे कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को गिरफ्तार करने और उनसे हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति मांगी गयी है। सीबीआई ने शीर्ष अदालत से राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाले 5 फरवरी के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है।

    राजीव कुमार की गिरफ्तारी है आवश्यक
    सीबीआई ने याचिका में कहा है कि इस घोटाले की बड़ी साजिश का पता लगाने व सबूत छिपाने या नष्ट करने के मामले में कुमार व अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए राजीव कुमार की हिरासत में पूछताछ जरूरी है। सीबीआई का कहना है कि राजीव कुमार को हिरासत में लेकर शारदा समूह के निदेशकों व राजनेताओं के बीच सांठगांठ का पता लगाना आवश्यक है।

    शिलॉन्ग में हुई पूछताछ में नहीं की सीबीआई की सहायता
    सीबीआई ने यह भी कहा है कि राजीव कुमार, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार शिलॉन्ग में पूछताछ के लिए सीबीआई अधिकारियों के समक्ष पेश हुए, ने एजेंसी के सवालों के जवाब नहीं दिए और साथ ही चिट फंड मामलों में महत्वपूर्ण सबूत उपलब्ध कराने में भी सीबीआई की सहायता नहीं की। कुमार ने किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा नहीं किया। सीबीआई का कहना है कि चिट फंड मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रभारी कुमार कुछ प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जुटाने में भी विफल रहे।

    सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट को अदालत ने बताया था गंभीर
    इससे पहले 29 मार्च को सीबीआई बनाम पश्चिम बंगाल सरकार मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर सीबीआई द्वारा दाखिल सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट को बहुत ही गंभीर बताया था।

    वोडाफोन एवं एयरटेल को अदालत ने दिया था नोटिस
    वहीं मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी पर वोडाफोन और एयरटेल को नोटिस जारी किया था। इस दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पश्चिम बंगाल राज्य में अराजकता का माहौल है। उन्होंने पीठ को बताया कि पिछले दिनों TMC के सासंद की पत्नी से कोलकाता हवाई अड्डे पर कस्टम अधिकारी कुछ पूछताछ करना चाहते थे लेकिन पुलिस उन्हें छुडाकर ले गई।

    दरअसल सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वो टेलीकॉम दिग्गज-वोडाफोन और एयरटेल को शारदा चिट फंड घोटाले के संबंध में 1 अगस्त, 2012 और 16 मार्च, 2013 के बीच के दौरान के विभिन्न व्यक्तियों के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) एजेंसी के साथ साझा करें।

    सीबीआई ने कहा था कि ये सीडीआर न केवल इस घोटाले का पता लगाने के लिए अत्यंत जरूरी है, बल्कि इससे आरोपों की पुष्टि भी होगी कि तत्कालीन पश्चिम बंगाल पुलिस आयुक्त राजीव कुमार इस मामले में अहम सुरागों को दबा रहे थे।

    सीबीआई के अनुसार हालांकि दोनों टेलीकॉम कंपनियों ने पहले बंगाल पुलिस के साथ पूरे सीडीआर का विवरण साझा किया था, लेकिन अब जांच एजेंसी द्वारा जब ये ब्योरा मांगा गया तो सेवा प्रदाता ने मजबूती से एजेंसी के साथ सहयोग करने से इंकार कर दिया।

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