CBI Vs CBI : DSP बस्सी ने अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव द्वारा किए तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

Rashid MA

22 Jan 2019 4:53 AM GMT

  • CBI Vs CBI : DSP बस्सी ने अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव द्वारा किए तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

    केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के भीतर रस्साकसी अभी भी जारी है। DSP अजय कुमार बस्सी ने 11 जनवरी को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव द्वारा जारी उनके तबादले के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    दरअसल राव ने पिछले साल 23 और 24 अक्टूबर की मध्यरात्रि में पदभार ग्रहण करने के बाद, उन अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया था जो सीबीआई के विशेष निदेशक, राकेश अस्थाना और अन्य के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और जबरन वसूली मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने 3 जनवरी को भी संयुक्त निदेशक रैंक के 2 और अधिकारियों के स्थानांतरण को मंजूरी दी थी।

    8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाली के बाद 2 दिनों के लिए फिर से पद पर नियुक्त होने के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने इनमें से कई तबादलों के फैसले को पलट दिया था। हालांकि 10 जनवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एक उच्चस्तरीय तीन-सदस्यीय समिति द्वारा आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद स्थानांतरण आदेश फिर से लागू कर दिए गए थे।

    बस्सी ने अब कहा है कि उक्त स्थानांतरण आदेश, दुर्भावनापूर्ण रूप से और विवेक के इस्तेमाल के बिना दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह आदेश, आलोक कुमार वर्मा बनाम भारत संघ व अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, जिसमें अधिकारियों को अपने स्थानांतरण को लेकर प्रतिनिधित्व देने की स्वतंत्रता दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले को निपटाते हुए, तबादला किए गए अधिकारियों के लिए इन आदेशों को चुनौती देने का विकल्प खुला छोड़ दिया था।

    बस्सी ने आगे कहा है कि उन्होंने अपना प्रतिनिधित्व दे दिया था और इसके आधार पर आलोक वर्मा द्वारा उन्हें वापस दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन 11 जनवरी 2019 को सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में राव ने इस आदेश को उलट दिया।

    बस्सी आगे दावा करते हैं कि उनका स्थानांतरण एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अस्थाना के खिलाफ जांच को प्रभावित करना है। उन्होंने कहा कि उनका स्थानांतरण, "देश की प्रमुख जांच एजेंसी की स्वतंत्रता को कलंकित करने के एक निंदनीय प्रयास के अलावा कुछ नहीं" है।

    बस्सी आगे कहते हैं कि हालांकि आलोक वर्मा के तबादले के लिए कई कारण मौजूद थे, लेकिन उनके खिलाफ ऐसा कोई भी आरोप नहीं था, जिसके चलते उनका तबादला किया गया।

    याचिका में कहा गया है कि वो नागेश्वर राव ही थे जिन्होंने 24.10.2018 को याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश को पारित किया था, और यह फिर से वही एम. नागेश्वर राव हैं जिनके इशारे पर और तत्काल लागू किए गए स्थानांतरण आदेश को पारित किया गया।

    बस्सी ने कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में अस्थाना और देवेंद्र कुमार, सीबीआई DySP के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार किया गया है, इसलिए उनके स्थानांतरण आदेश को रद्द किया जाए और याचिका के लंबित रहने के दौरान तबादले के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जाए।

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