देवरिया जेल में कारोबारी को प्रताड़ित करने के मामले में UP सरकार ने अतीक अहमद पर SC में दाखिल की रिपोर्ट

Live Law Hindi

13 April 2019 8:00 AM GMT

  • देवरिया जेल में कारोबारी को प्रताड़ित करने के मामले में UP सरकार ने अतीक अहमद पर SC में दाखिल की रिपोर्ट

    उत्तर प्रदेश के देवरिया जेल में बंद पूर्व सासंद अतीक अहमद द्वारा एक कारोबारी को अपहृत कर जेल में लाने और संपत्ति ट्रांसफर करने के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर माना है कि कारोबारी को जेल में बुलाकर प्रताड़ित किया गया था।

    सीसीटीवी कैमरों से की गई छेड़छाड़

    सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि प्रोपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को जब जेल में लेकर आया गया तब जेल के सीसीटीवी कैमरों से छेड़छाड़ की गई थी। जेल में अतीक अहमद के साथ-साथ उनके साथियों को सुविधा दी गई थी।

    जेल अफसरों एवं सुरक्षकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू

    सरकार ने रिपोर्ट में बताया है कि इस संबंध में जेल अधीक्षक समेत 4 अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है जबकि निचले स्तर के 3 सुरक्षाकर्मियों को निलंबित किया गया है। इस घटना के बाद अतीक को देवरिया से बरेली जेल भेज दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

    अतीक अहमद के खिलाफ लंबित मामले

    यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी जानकारी दी है कि अतीक अहमद के खिलाफ़ वर्ष 1979 से 2019 तक 109 आपराधिक केस लंबित हैं। इनमें 17 केस हत्या के हैं। अतीक अहमद के खिलाफ 8 केस वर्ष 2015 से 2019 में दर्ज किए गए जिनमे अभी जांच चल रही है। इन केसों में 2 केस हत्या के हैं। अतीक अहमद वर्ष 1989 से 2004 तक विधायक और वर्ष 2004 से 2009 तक सांसद रह चुके हैं।

    गौरतलब है कि 8 जनवरी को इस जानकारी को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. के कौल की पीठ ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी।

    एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने दी थी इस घटना की जानकारी

    दरअसल पूर्व व वर्तमान विधायकों/सासंदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन की सुनवाई में एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने पीठ को इस घटना की जानकारी दी थी। उन्होंने पीठ को बताया था कि अतीक अहमद पर 22 आपराधिक मामले लंबित हैं और 28 दिसंबर 2018 को उन्होंने कारोबारी को अगवा कर जेल में लाने जैसा अपराध किया है। इस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए यूपी सरकार से इस पर 2 हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

    राजनेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी को लेकर दाखिल है याचिका

    दरअसल वकील और दिल्ली भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जारी किए थे।याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन चुनाव लडने पर पाबंदी की मांग की गई है।

    इसके लिए उन्होंने जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है, जो कि दोषी राजनेताओं को जेल की अवधि के बाद 6 साल की अवधि के लिए चुनाव लडने से अयोग्य करार देता है।

    इस मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 1 नवंबर 2017 को फास्ट ट्रैक न्यायालयों की तर्ज पर नेताओं के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए केंद्र को जरूरी निर्देश दिया था।

    Tags
    Next Story