बिहार में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र, बिहार और UP सरकार को नोटिस, 7 दिनों में मांगा जवाब

Live Law Hindi

24 Jun 2019 11:59 AM GMT

  • बिहार में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र, बिहार और UP सरकार को नोटिस, 7 दिनों में मांगा जवाब

    बिहार में बच्चों को दिमागी बुखार एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होने से हो रही मौतों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 7 दिनों में उनकी ओर से जवाब मांगा है।

    अदालत ने मांगे सरकार से जवाब

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 3 मुद्दों - साफ-सफाई, पोषाहार और स्वास्थ्य सेवाओं पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। पीठ ने कहा कि अदालत को सरकार से कुछ जवाब चाहिए क्योंकि जिनकी जान जा रही है वो बच्चे हैं।

    ASG विक्रमजीत बनर्जी ने हालात पर काबू पाने की बात बताई
    बच्चों की मौत पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा कि इसे यू हीं जारी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। हालांकि इस दौरान केंद्र की ओर से ASG विक्रमजीत बनर्जी ने पीठ को बताया कि इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं और हालात पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। पीठ ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई 10 दिन बाद करेंगे।

    जनहित याचिका में किये गए अनुरोध

    दरअसल इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार और बिहार सरकार को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और अन्य सहायता के प्रावधान समेत चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।

    यूथ बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी द्वारा दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि बिहार में पिछले एक सप्ताह में 126 से अधिक बच्चों (ज्यादातर आयु वर्ग 1 से 10) की मौत बिहार, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार की संबंधित सरकारों की लापरवाही और निष्क्रियता का प्रत्यक्ष परिणाम है। एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप के कारण हर साल होने वाली महामारी की स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम नहीं किए गए हैं।

    "मीडिया रिपोर्टों से यह पता चलता है कि आसपास के क्षेत्रों के अस्पतालों में डॉक्टरों, चिकित्सा सुविधाओं, गहन देखभाल इकाइयों और अन्य चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी है और अस्पतालों में आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण बच्चे मर रहे हैं," याचिका में कहा गया है।

    "भारत के संविधान के अनुच्छेद 21के तहत जीने का अधिकार एक पवित्र मौलिक अधिकार है। इस माननीय न्यायालय ने इसे सभी मौलिक अधिकारों में सर्वोच्च माना है। उत्तरदाताओं द्वारा लापरवाही के वर्तमान कार्य की वजह से भारतीय संविधान के ढांचे के भीतर राज्य सरकार ने सैकड़ों युवा निर्दोष लोगों की जान ले ली है। राज्य के हिस्से पर लापरवाही का यह कार्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने की गारंटी के मौलिक अधिकार का लगातार उल्लंघन कर रहा है," याचिका में आगे कहा गया।

    इस जनहित याचिका में 500 आईसीयू और 100 मोबाइल आईसीयू की तत्काल व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया गया है। साथ ही यह कहा गया है कि एक असाधारण सरकारी आदेश के तहत प्रभावित क्षेत्र के सभी निजी चिकित्सा संस्थानों को निर्देश दिया जाए कि वो मरीजों को निशुल्क उपचार प्रदान करें। राज्य मशीनरी की लापरवाही के कारण मरने वाले मृतकों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा प्रदान किए जाए।

    Tags
    Next Story