चारा घोटाला मामला : सुप्रीम कोर्ट ने RJD सुप्रीमो लालू यादव की जमानत याचिका खारिज की

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10 April 2019 4:16 PM GMT

  • चारा घोटाला मामला : सुप्रीम कोर्ट ने RJD सुप्रीमो लालू यादव की जमानत याचिका खारिज की

    एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

    सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, "आपने (लालू) 25 वर्ष की सजा के खिलाफ केवल 24 महीने की सजा ही काटी है।"

    लालू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उन्हें केवल 14 वर्ष की सजा दी गई थी न कि 25 वर्ष की। उनकी अपील लंबित है और फिर भी सुनवाई के लिए उन्हें सूचीबद्ध किया जाना है। लालू कहीं भाग नहीं रहे हैं।

    CJI ने कहा, "उच्च न्यायालय के अनुसार यह 25 वर्ष है और हम उच्च न्यायालय से राजनेताओं के खिलाफ मामलों में तेजी लाने के लिए कह सकते हैं।" इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें सजा केवल साजिश पर दी गई और लालू की जमानत पर रिहा होने पर क्या खतरा हो सकता है। CJI ने जवाब दिया कि दोषी करार दिए जाने के अलावा कोई खतरा नहीं है। इसके बाद अदालत ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि यह जमानत खारिज की जाती है।

    इससे पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया था। सीबीआई ने इस संबंध में लालू की जमानत याचिका पर अपनी ओर से हलफनामा दाखिल किया था।

    "जमानत दिया जाना पेश करेगा एक गलत मिसाल"

    चिकित्सा आधार पर जमानत के लिए लालू की याचिका के जवाब में सीबीआई ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई भी राहत न केवल "भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी" के खिलाफ होगी, बल्कि भ्रष्टाचार के मामलों में यह राहत एक गलत मिसाल कायम करेगी।

    सीबीआई ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसा आभास कराया है कि उसे केवल 3.5 साल की सजा हुई है और उसका पहले से ही काफी बड़ा हिस्सा वो काट चुके हैं। यह सबमिशन न केवल भ्रामक है बल्कि तथ्यात्मक रूप से भी गलत है। सीबीआई ने प्रस्तुत किया कि लालू ने लगभग 4 महीने ही सही तरीके से सजा काटी है और वो इस आधार पर 8.5 महीने से अस्पताल में रहे हैं कि उनकी हालत इतनी खराब है कि उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता।

    एक मामले में, याचिकाकर्ता को 7 और 7 वर्ष की सजा हुई है और उन्होंने एक दिन भी जेल की सजा नहीं काटी है। अपनी सजा सुनाए जाने के बाद से वो अस्पताल में हैं।

    "याचिकाकर्ता सभी सुविधाओं के साथ अस्पताल में हैं"

    इसके अलावा जिस अवधि में याचिकाकर्ता अस्पताल में रहे हैं, उन्हें न केवल सभी सुविधाओं के साथ एक विशेष भुगतान वार्ड प्रदान किया गया बल्कि वह वहां से अपनी राजनीतिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं, जो आगंतुकों के रजिस्टर से स्पष्ट है।

    सीबीआई का कहना था कि जिस याचिकाकर्ता ने इतना अस्वस्थ होने का दावा किया कि वह जेल में भी नहीं रह सकता और उसे अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। एवं अब यह दावा किया जा रहा है कि वह शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उन्होंने जमानत मांगी है।

    हलफनामे में कहा गया कि लालू ने एक अतिरिक्त आधार का आग्रह किया है कि राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक और अध्यक्ष होने के नाते उनकी रिहाई आवश्यक है ताकि वो पार्टी का मार्गदर्शन करें और लोकसभा के आगामी चुनाव में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अपनी सभी आवश्यक जिम्मेदारियों को निभाएं।

    "मेडिकल ग्राउंड की आड़ में राजनीतिक गतिविधि"

    सीबीआई ने कहा कि चिकित्सा आधार पर जमानत के लिए दलीलें पेश करना और पार्टी का मार्गदर्शन करने के लिए जमानत व लोकसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष के रूप में सभी आवश्यक जिम्मेदारियों को निभाने का आधार परस्पर विरोधाभासी है और यह प्रकट करता है कि मेडिकल ग्राउंड पर जमानत की आड़ में याचिकाकर्ता अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाना चाहता है जो कानून के अंतर्गत मान्य नहीं है।

    सीबीआई ने कहा कि याचिकाकर्ता एक सजायाफ्ता व्यक्ति है जिसे देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक के मुख्यमंत्री के संवैधानिक कार्यालय पर होने के दौरान 75.48 करोड़ रुपये के चारा घोटाला के 4 मामलों में दोषी ठहराया गया। वो अभी भी 139.45 करोड़ रुपये के 2 मामलों के ट्रायल का सामना कर रहे हैं।

    "याचिकाकर्ता द्वारा किये गए अपराध है गंभीर"

    सीबीआई ने कहा कि सार्वजनिक और साथ ही संवैधानिक कार्यालय में भ्रष्टाचार के अपराध की गंभीरता को देखते हुए और यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता को 27.5 साल की सजा से गुजरना है [सभी 4 दोषियों के लिए गणना की गई है ], साथ ही दोनों अदालतों ने जमानत से इनकार किया है, सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इन्ही आधारों पर सीबीआई ने जमानत याचिका को खारिज करने की मांग की थी।

    इससे पहले 16 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था।

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीआई को लालू यादव की याचिका पर 2 सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था।

    जल्द सुनवाई की मांग

    इससे पहले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने लालू की ओर पेश होकर इस केस की जल्द सुनवाई की मांग की। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सहमति जताते हुए कहा कि पीठ 10 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई करेगी।

    इससे पहले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था।

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीआई को लालू यादव की याचिका पर 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने का निर्देश दिया था।

    बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर मांगी जमानत

    लालू यादव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य आधार पर जमानत की मांग की है। उन्होंने पीठ को बताया कि वो एक मामले में 22 महीने, दूसरे मामले में 13 महीने और तीसरे मामले में 21 महीने की सज़ा काट चुके है।

    दरअसल लालू यादव ने 3 मामलों में उन्हें जमानत देने से इंकार करने के झारखण्ड उच्च न्यायालय के 10 जनवरी के फैसले को चुनौती दी है।

    सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में उन्होंने कहा है कि वो 71 वर्ष के हो चुके हैं और उन्हें कई बीमारियां हैं जिनके चलते वो पटना के रिम्स में उपचार भी करा रहे हैं।

    क्या है लालू प्रसाद के खिलाफ मामला१

    गौरतलब है कि चारा घोटाला अविभाजित बिहार के पशुपालन विभाग में खजाने से वर्ष 1990 के प्रारंभ में फर्जी तरीके से 900 करोड़ रूपए की रकम निकालने से संबंधित है। लालू प्रसाद यादव उस समय बिहार के मुख्यमंत्री थे। लालू इन 3 मामलों में दिसंबर, 2017 से रांची की बिरसा मुण्डा केन्द्रीय जेल में बंद हैं।

    अभी तक लालू यादव चारा घोटाला में 3 मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। लालू को चाईबासा कोषागार के 2 मामलों में 5-5 वर्ष तथा देवघर कोषागार मामले में 3.5 वर्ष की सजा मिल चुकी है। मार्च 2018 में चारा घोटाले के दुमका कोषागार से जुड़े मामले में लालू प्रसाद यादव को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने आईपीसी की धारा 120 और पीसी एक्ट के तहत 7-7 वर्ष की सजा सुनाई थी।

    साथ ही उन पर 30-30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। ये चारा घोटाले में सबसे बड़ी सजा है। डोरंडा कोषागार से जुड़ा चारा घोटाले का पांचवा मामला सबसे बड़ा है जिसमें उनपर करीब 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप है। इसके अलावा लालू भागलपुर के 1 और मामले में आरोपी हैं।

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