लोकसभा चुनाव : EVM के VVPAT से औचक मिलान पर 21 विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया

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7 May 2019 11:16 AM GMT

  • लोकसभा चुनाव : EVM  के VVPAT से औचक मिलान पर 21 विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया

    लोकसभा चुनाव में EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान कराने को लेकर दाखिल 21 विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    दरअसल मंगलवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वो अपने 8 अप्रैल के आदेश में संशोधन करने की इच्छुक नहीं है।

    इस संबंध में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान लोगों में भरोसा बढ़ाने के लिए जरूरी है। इस मामले में अगर 25 से 33 फीसदी औचक मिलान के आदेश दिए जाते हैं तो भी याचिकाकर्ता इससे सहमत हैं।

    दरअसल भारत की 21 विपक्षी पार्टियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।

    सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की हुई थी मांग
    इस याचिका में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू व 20 अन्य पार्टियों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अपने उस फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था, जिसमें प्रत्येक विधानसभा में 5 EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान कराने के निर्देश जारी किए गए थे।

    पुनर्विचार याचिका में यह कहा गया था कि पहले चरण के मतदान में ये तथ्य सामने आया है कि EVM मशीनों मे गड़बड़ी हो रही है। किसी एक पार्टी को दिया गया मत अन्य पार्टी को जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट अपने 8 अप्रैल के फैसले पर विचार करे और चुनाव आयोग को 'वाजिब' संख्या में EVM का VVPAT से औचक मिलान कराने के निर्देश जारी करे।

    याचिका में यह भी कहा गया था कि 2 फीसदी औचक मिलान किसी भी सूरत में वाजिब नहीं है और पहले ही EVM को लेकर संदेह व्यक्त किया जाता रहा है। ऐसे में इसी संदेह को दूर करने के लिए 100 फीसदी VVPAT की व्यवस्था की गई है।

    याचिका में ये भी कहा गया था कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ताओं की उस बात को माना था कि चुनाव आयोग की मौजूदा व्यवस्था सही नहीं है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट ने वाजिब औचक मिलान के आदेश जारी नहीं किए तो सारी कवायद बेकार हो जाएगी।

    सुप्रीम कोर्ट का 8 अप्रैल का आदेश
    गौरतलब है कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया कि वो लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान कराए।

    इससे पहले एक विधानसभा क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक EVM का VVPAT से औचक मिलान कराया जाता था। 11 अप्रैल से शुरू हुए लोकसभा चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू किया गया है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने "चुनाव प्रक्रिया में सटीकता, संतुष्टि की सबसे बड़ी डिग्री सुनिश्चित करने के लिए" ये कदम उठाया था।

    शीर्ष अदालत ने यह कहा था कि, "केवल राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि गरीब और निरक्षर को भी संतुष्ट होना चाहिए।"

    सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 21 विपक्षी दलों की उस याचिका पर आया था जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 50% या 125 मतदान केंद्रों में VVPAT सत्यापन का अनुरोध किया गया था। 1 से 5 EVM से VVPAT सत्यापन की वृद्धि केवल .44% से बढ़ाकर 2 प्रतिशत ही होगी।

    पीठ ने कहा कि 125 मतदान केंद्रों की बजाए 5 EVM का VVPAT सत्यापन इस समय "अधिक व्यवहार्य" है।

    "50 फीसदी मिलान से होगी निष्पक्षता सुनिश्चित"
    लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी VVPAT सत्यापन की मांग वाली याचिका पर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा था कि EVM से VVPAT पर्ची के 50 फीसदी मिलान से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी और ऐसे में अगर चुनाव परिणाम की घोषणा में 6 दिनों की देरी होती है तो वो भी उन्हें मंजूर है।

    चुनाव आयोग द्वारा दाखिल हलफनामे के जवाब में हलफनामा दाखिल करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू व 20 अन्य पार्टियों के नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो गिनती का आंकड़ा दिया है वो एक बूथ पर मिलान के लिए एक कर्मचारी के हिसाब से दिया है। अगर चुनाव आयोग वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती के लिए तैनात एक और कर्मचारी को बढ़ा देता है तो 50 फीसदी मतगणना में 2.6 दिनों की देरी होगी जबकि 33 फीसदी मिलान से 1.8 दिनों में परिणाम में देरी होगी और अगर 25 फीसदी मिलान होता है तो चुनाव परिणाम में केवल 1.3 दिनों की देरी होगी।

    हलफनामे में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत EVM में VVPAT का प्रावधान किया है और यदि अब भी एक विधानसभा क्षेत्र में एक बूथ पर ही औचक मिलान की व्यवस्था जारी रहती है तो ये चुनाव की निष्पक्षता और EVM की दक्षता को कमजोर करेगी।
    इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह सूचित किया कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र में 50% वोटर वेरिफिकेशन पेपर ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्ची सत्यापन संभव नहीं है क्योंकि इससे मतगणना के लिए आवश्यक समय को 6 से 9 दिनों के लिए बढ़ाना पड़ जाएगा।

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