कैबिनेट ने CJI को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी

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1 Aug 2019 8:47 AM GMT

  • कैबिनेट ने CJI को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के एक विधेयक को पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

    जजों की संख्या में होगी 10 प्रतिशत की वृद्धि
    कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "जब सर्वोच्च न्यायालय में बहुत सारे मामले लंबित हैं तो अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता है। मंत्रिमंडल ने न्यायाधीशों की क्षमता 30 से 33 बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह 10% की वृद्धि होगी। यह एक महान निर्णय है। अब 3 और न्यायाधीशों को मंजूरी दी जाएगी। "

    मंत्री ने यह कहा कि एनडीए सरकार ने वर्ष 2016 में 173 अतिरिक्त पदों को मंजूरी देकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की क्षमता 1079 तक बढ़ा दी है।

    CJI रंजन गोगोई ने लिखा था प्रधानमंत्री को पत्र

    इससे पहले बीते मई में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से यह अनुरोध किया था कि वो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल तक बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट की क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाएं। CJI ने 2 अलग-अलग पत्र लिखे थे जिसमें लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए अनुरोध भी किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 224 (3) और 124 (2) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में 65 वर्ष है। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।

    31 न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत क्षमता हो चुकी है
    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जजों की क्षमता संसद द्वारा अनुच्छेद 124 (1) के अनुसार बनाए गए कानून द्वारा 31 तय की गई है। इसलिए संसदीय विधान के माध्यम से ही ये क्षमता बढ़ाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले मई में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्तियों के साथ 31 न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत क्षमता हो चुकी है।

    क्षमता बढ़ाने पर CJI ने दिया था जोर
    CJI गोगोई ने कहा था, "आप इस तरह से याद करेंगे कि वर्ष 1988 में, लगभग 3 दशकों में SC जजों की क्षमता 18 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी और फिर वर्ष 2009 में दो दशकों के बाद, CJI सहित इसे बढ़ाकर 31 कर दिया गया था। संस्था की क्षमता का मामलों की दर के साथ तालमेल बनाए रखा जाना चाहिए।"

    CJI ने की सेवानिवृत्त SC और HC जजों को नियुक्तियां देने की मांग
    CJI के एक अन्य पत्र में बढ़ते लंबित मामलों से निपटने के लिए क्रमशः संविधान के अनुच्छेद 128 और 224A के अनुसार सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों को नियुक्तियां देने की मांग की। CJI गोगोई ने यह कहा, "24 HC में 43 लाख से अधिक मामले लंबित होने का प्रमुख कारण है कि हम कभी बढ़ती लंबितता को पूरी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हाई कोर्ट जजों की कमी है। वर्तमान में 399 पद या 37% स्वीकृत पद खाली हैं। मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरने की आवश्यकता है। हालांकि सभी हितधारकों द्वारा किए गए सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद कार्य-न्यायाधीश- क्षमता को स्वीकृत न्यायाधीश क्षमता के करीब लाना न्यायाधीशों को नियुक्त किए बिना संभव नहीं है।"

    CJI ने सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर दिया जोर
    "एक न्यायाधीश को विकसित होने में समय लगता है और जब तक वह अभ्यास करने के लिए समृद्ध अनुभव के आधार पर नवीन विचारों को रखने की स्थिति में होता है, वह खुद को सेवानिवृत्ति के करीब पाता है," CJI ने HC न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए एक मामला बनाते हुए पत्र में लिखा।

    उन्होंने यह भी कहा कि कई संसदीय समितियों ने इसकी सिफारिश की है। यदि सेवानिवृत्त HC न्यायाधीश 62 वर्ष से अधिक आयु पर वैधानिक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य कर सकते हैं तो वे 65 वर्ष की आयु तक HC में भी जारी रह सकते हैं। CJI ने कहा, "इस प्रस्ताव से अधिक कार्यकाल के लिए अधिक अनुभव वाले न्यायाधीशों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी।"

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