जस्टिस बोबडे, रमना और इंदिरा बनर्जी CJI पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की इन-हाउस जांच करेंगे

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24 April 2019 5:15 AM GMT

  • जस्टिस बोबडे, रमना और इंदिरा बनर्जी CJI पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की इन-हाउस जांच करेंगे

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की इन-हाउस जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अगुवाई में जांच पैनल का गठन किया गया है।

    मंगलवार को संपर्क करने पर वरिष्ठता में CJI के बाद आने वाले जस्टिस बोबडे ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि नंबर दो न्यायाधीश होने के नाते, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को देखने एवं मामले की जांच के लिए नियुक्त किया है।

    जस्टिस बोबडे ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने शीर्ष अदालत के 2 जजों - जस्टिस एन. वी. रमना और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल करके एक पैनल बनाने का फैसला किया है।

    जस्टिस बोबड़े ने कहा, "मैंने पैनल में जस्टिस रमना को रखने का फैसला किया क्योंकि वह वरिष्ठता क्रम में मेरे बाद हैं, जबकि जस्टिस बनर्जी महिला जज हैं।"

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक पूर्व जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को लिखे पत्र में यह आरोप लगाया है कि उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

    28 पेज के एक लेख में जिसे 'हलफनामे' के रूप में लिखा गया है, पूर्व कर्मचारी ने यह शिकायत की है कि उन्हें और उनके परिवार को CJI की अवांछित यौन इच्छाओं का विरोध करने और मना करने के लिए पीड़ित किया गया है। अपने हलफनामे में महिला कर्मचारी ने उस दिन से अपनी नौकरी का माहौल बताया है जब से वह कोर्ट में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के रूप में शामिल हुई थी।

    वह कहती हैं कि, 11 अगस्त 2018 से, वह जस्टिस रंजन गोगोई के आवास कार्यालय में तैनात थीं। बाद में उन्हें कुछ ही हफ्तों में 3 बार स्थानांतरित कर दिया गया - पहले 22 अक्टूबर, 2018 को, सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग (CRP) में, फिर एडमिन मटेरियल सेक्शन में और आखिरकार 22 नवंबर, 2018 को लाइब्रेरी में। हालांकि 19 नवंबर को उन्हें एक ज्ञापन जारी किया गया कि उसके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू की जा रही है।

    आखिरकार उस महिला को दिसंबर 2018 में बर्खास्त कर दिया गया। उनके पति जो जून 2013 से दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं, उन्हें अचानक क्राइम ब्रांच से ट्रांसफर कर दिया गया था। वह यह भी दावा करती हैं कि उन्हें इस आरोप में गिरफ्तार किया गया कि इन्होंने वर्ष 2017 में एक व्यक्ति से 50,000 रुपये लिए थे और यह वादा किया था कि वो उसे सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलाएंगी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

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