नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाने के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका पर SC ने दखल देने से इनकार किया

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19 Feb 2019 6:46 AM GMT

  • नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाने के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका पर SC ने दखल देने से इनकार किया

    एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अतंरिम निदेशक बनाए जाने के फैसले के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है।

    जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि सीबीआई के नियमित निदेशक की नियुक्ति हो चुकी है इसलिए अब इसमें किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है। पीठ ने ये भी कहा कि पारदर्शिता को लेकर दूसरी याचिका दाखिल की जा सकती है। पीठ ने इसके साथ ही इस याचिका का निपटारा कर दिया।

    6 फरवरी को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इस पर विस्तार से फैसला देंगे। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ को बताया कि सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति हो चुकी है। पीठ ने कहा था कि अब इस याचिका पर सुनवाई की जरूरत नहीं है, लेकिन कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि नियुक्ति के लिए पारदर्शिता पर आदेश की जरूरत है। इस संबंध में आरटीआई आवेदन किया गया लेकिन सरकार ने जवाब नहीं दिया।

    लेकिन पीठ ने कहा था कि इसके लिए वो उपचार कर सकते हैं। पीठ भविष्य में हो सकने वाली घटना के लिए आदेश जारी नहीं कर सकती।

    इससे पहले 1 फरवरी को याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो जल्द से जल्द सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति करे क्योंकि अंतरिम निदेशक उस पद पर लंबे वक्त तक नहीं रह सकते।

    वहीं केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि सीबीआई निदेशक के चयन के लिए हाई पावर कमेटी की बैठक शुक्रवार को ही होनी है। उन्होंने पीठ को ये भी बताया था कि अंतरिम निदेशक की नियुक्ति से पहले हाई पावर कमेटी की मंजूरी ली गई थी।

    इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस ए. के. सीकरी के बाद जस्टिस एन. वी. रमना ने भी मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

    सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कॉमन कॉज ने कहा है कि यह नियुक्ति मनमानी और गैरकानूनी है और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत सीबीआई में अंतरिम निदेशक के पद की कोई व्यवस्था नहीं है। याचिका के अनुसार नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर 2018 का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को रद्द कर दिया था। लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी।

    याचिका में लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में तय प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को सीबीआई का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

    वहीं याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई निदेशक के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। निदेशक पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर जारी होनी चाहिए और प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की हाई पावर कमेटी की बैठक का ब्यौरा सार्वजनिक होना चाहिए।

    गौरतलब है कि 10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति होने तक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था।

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