हेराल्ड हाउस को लेकर AJL ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ में दाखिल की याचिका, बिल्डिंग खाली कराने के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार

LiveLaw News Network

7 Jan 2019 9:49 AM GMT

  • हेराल्ड हाउस को लेकर AJL ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ में दाखिल की याचिका, बिल्डिंग खाली कराने के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार

    दिल्ली स्थित हेराल्ड हाउस को लेकर एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष याचिका दाखिल कर, हाइकोर्ट के एकल पीठ के 21 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है। एकल पीठ के इस आदेश में AJL को दो हफ्ते के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने को कहा गया था।

    शनिवार शाम को दाखिल इस याचिका में न्याय हित में 21 दिसंबर के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर इमारत खाली करने के आदेश पर तुरंत रोक नहीं लगी तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय नुकसान होगा।

    इस याचिका में कहा गया है कि एकल पीठ ने इस संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए तथ्यों व कानूनी पहलुओं पर उचित प्रकार से गौर नहीं किया है। याचिका में इसी तरह लीज पर दिए गए अन्य स्थानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वहां पर भी इमारत के तलों को किराए पर दिया गया है। माना जा रहा है कि हाईकोर्ट 9 जनवरी को इस पर सुनवाई करेगा।

    21 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को दो हफ्तों के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया था। जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर दो हफ्ते में AJL ने इमारत खाली नहीं की तो कानून के मुताबिक उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने AJL के 99 फीसदी शेयर को यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर करने पर भी बडे सवाल उठाते हुए कहा कि AJL को यंग इंडियन कंपनी द्वारा हाईजैक कर लिया गया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जिस मक़सद के लिए उन्हें यह जगह दी गई थी, वो मकसद अब अस्तित्व में नहीं है। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर पर अखबार का दफ्तर होना चाहिए था, उसे टॉप फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया गया है और वहां अब बमुश्किल कोई प्रेस एक्टिविटी होती है। अपने इस फैसले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के उस नोटिस को सही ठहराया है जिसमे हेराल्ड हाउस लीज का उल्लंघन करने के चलते इमारत खाली करने को कहा गया था। फैसले में कहा गया कि हेराल्ड हाउस को लीज पर देने का मुख्य उद्देश्य अब खत्म हो गया है। याचिकाकर्ता ने इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया जिससे यह सिद्ध हो सके कि उनके खिलाफ गंभीर दुर्भावनापूर्वक यह कार्यवाही की गयी है। वे यह भी नहीं बता सके कि सत्ता में बैठी सरकार के इस नोटिस से पंडित नेहरू की किस प्रकार से मानहानि हुई या इस नोटिस ने उन्हें किस प्रकार से प्रभावित किया। AJL इस पर भी चुप है कि उसके प्रिंट और ऑनलाइन एडिशन का भारत भर में प्रसार कितना है।

    जस्टिस गौड़ ने आने फैसले में कहा कि यंग इंडियन कंपनी के स्टेक होल्डर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती वाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस हैं। AJL की 413.40 करोड की संपत्ति के 99 फीसदी शेयर गुपचुप तरीके से यंग इंडियन कंपनी को फायदे के लिए ट्रांसफर किए गए। यंग इंडियन कंपनी, चेरिटेबल कंपनी है लेकिन ये AJL के 99 फीसदी शेयर ट्रांसफर करने का एक तरीका था। AJL का यंग इंडियन कंपनी में शेयर ट्रांसफर का तरीका, सवालों के घेरे में है। इस केस में तकनीकी तौर पर बिक्री, गिरवी रखकर या उपहार के तौर पर AJL के फायदे, यंग इंडियन में ट्रांसफर नहीं किए गए।

    22 नवंबर को दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग की लीज़ खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था।

    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने कहा था कि AJL की तरफ़ से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। वर्ष 2008 से लेकर 2017 तक बिल्डिंग में किसी प्रकार का कोई प्रकाशन कार्य नहीं हो रहा था और इस बिल्डिंग का इस्तेमाल दूसरे कार्यों के लिए हो रहा था। इन्होंने एक वेब साप्ताहिक शुरू किया है जो कि नोएडा से चल रहा है और AJL ने ये कंपनी, दूसरी कंपनी, यंग इंडिया को बेच दी है। SG ने कहा कि आयकर विभाग के नोटिस के मुताबिक, वर्ष 2008 में पूरे अख़बार को बंद कर दिया था और वहां काम करने सभी कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया था। इसके चेयरमैन को बिल्डिंग निरीक्षण करने का नोटिस भेजा गया था और सितंबर 2016 में निरीक्षण भी किया गया था। इस निरीक्षण के दौरान टीम को वहां प्रिंटिंग का कोई सामान नहीं मिला था। निरीक्षण में पाया गया था कि पहला तल, पासपोर्ट ऑफिस को दिया गया है जबकि दूसरा और तीसरा तल किसी और को और चौथा तल, AJL के पास है। हमें कहा गया था कि प्रिंटिंग शुरू की जाएगी पर वर्ष 2008 से 2016 तक कोई प्रिंटिंग कार्य नहीं किया गया।

    SG ने कहा कि यह सब केवल एक बहुमूल्य प्रापर्टी पर कब्ज़ा करने के लिए किया जा रहा है। उनको इतनी बड़ी संपत्ति की ज़रूरत ही नहीं है। उनका एक वेब साप्ताहिक कार्यशील है और उसके लिए बस एक लैपटाप की ज़रूरत है। इसलिए पूरी जांच के बाद लीज़ खत्म की गई थी।

    वहीं AJL की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील, अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि AJL को 10 जून 2016 को पहला नोटिस भेजा गया था और इस नोटिस में तो प्रिंटिंग प्रेस के नहीं चलने की बात ही नहीं की गई थी। यह केवल एक कारण बताओ नोटिस था और नोटिस के बाद 1.5 साल तक कुछ नहीं कहा गया। 5 अप्रैल 2018 को दूसरा नोटिस दिया गया और दूसरे नोटिस में भी प्रिंटिंग प्रेस की कोई बात नहीं कही गई। 18 जून 2018 को भेजे गए तीसरे नोटिस में ही प्रथम बार प्रिंटिंग प्रेस की बात कही गई।

    हम नवंबर 2016 से प्रेस चला रहे हैं। तकनीक इतने सालों में काफी बदल गई है और उक्त लीज़ में यह कहीं नहीं कहा गया था कि परिसर से ही छपाई का कार्य होना चाहिए।

    दूसरे अखबारों की प्रेस भी नोएडा में है।

    उन्होंने दलील दी कि लीज़ में कोई ऐसा नियम नहीं है कि शेयर किसी और को नहीं दे सकते और यह संपत्ति बेची नहीं गई बल्कि केवल शेयर ट्रांसफ़र किए गए हैं।

    दरअसल केंद्र सरकार ने AJL को 15 नवंबर तक परिसर खाली करने का नोटिस दिया था।

    इमेज कर्टसी : द इंडियन वायर

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