जरूरी नहीं है कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत महिला खुद ही दायर करे शिकायत-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi

6 May 2019 4:03 PM GMT

  • जरूरी नहीं है कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत महिला खुद ही दायर करे शिकायत-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत कोई ऐसा इरादा नहीं दर्शाया गया है कि धारा 498ए के तहत होने वाले अपराध के लिए शिकायत सिर्फ वहीं महिला दायर कर सकती है,जो अपने पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा प्रताड़ित हुई है।

    रश्मी चोपड़ा बनाम यूपी सरकार मामले में जस्टिस अशोक भूषण व के.एम जोसेफ की पीठ सुनवाई कर रही थी। मामले में दलील दी गई िकइस मामले में शिकायत खुद महिला ने दायर नहीं की,बल्कि शिकायत उसके पिता ने दायर की है। इसलिए मामला सुनवाई योग्य या अनुरक्षणीय नहीं है।
    पीठ ने धारा 498ए का हवाला देते हुए इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि-
    '' धारा 498ए में ऐसा कुछ नहीं है,जिससे यह जाहिर हो सके कि जब एक महिला को प्रताड़ित किया जाता है,तो उस मामले में सिर्फ प्रताड़ित होने वाली महिला ही शिकायत दायर कर सकती है। धारा 498ए को देखने के बाद यह पाया गया है िक इस धारा में ऐसा कोई इरादा नहीं दर्शाया गया है कि धारा 498ए के तहत होने वाले अपराध के लिए शिकायत सिर्फ वही महिला दायर कर सकती है,जिसे उसके पति या उसके रिश्तेदारों ने प्रताड़ित किया है। इसलिए हमारा मानना है कि प्रतिवादी नंबर दो वंशिका के पिता के द्वारा दायर शिकायत को इस आधार पर नकारा नहीं जा सकता है। न ही यह कहा जा सकता है िकवह शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है।''
    कोर्ट ने कहा कि पीड़ित महिला के पिता की तरफ से दायर शिकायत में बताया गया है कि उसकी बेटी के पति ने उसे अतिरिक्त दहेज की मांग के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था और एक करोड़ रूपए मांग रहे थे। किसी भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए थे। सभी पर आमतौर पर सामान्य से आरोप लगाए गए थे।जो साफ दर्शा रहे थे कि सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत यह अर्जी सभी को प्रताड़ित करने के लिए दायर की गई थी।
    कोर्ट ने यह भी पाया कि तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान दंपत्ति ने सारे मामले सुलझा लिए थे। जिसमें संपत्ति से जुडे़ मामले भी थे।
    अंत में पीठ ने शिकायत को रद्द कर दिया और उन सभी समन के आदेश को भी जो अभी तक धारा 498ए व दहेज निरोधक अधिनियम की धारा 3/4 के तहत जारी किए गए थे। हालांकि पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 323,504 व 506 के तहत पति व दो अन्य के खिलाफ दायर शिकायत पर कार्यवाही जारी रहेगी।

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