बच्चों से रेप मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र ने कहा वो अदालत के साथ

Live Law Hindi

13 July 2019 11:38 AM GMT

  • बच्चों से रेप मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र ने कहा वो अदालत के साथ

    देशभर में बच्चों से रेप के मामलों में हुई बढ़ोतरी पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वी. गिरी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।

    वी. गिरी करेंगे दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद
    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि गिरि इस मामले में मैनपावर, बुनियादी ढांचा, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के लिए कमरे आदि प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद करेंगे। पीठ इस मुद्दे पर सोमवार को सुनवाई करेगी।

    पीठ ने जताई बच्चों के साथ बलात्कार के मामलों पर चिंता
    इस दौरान पीठ बच्चों के साथ बलात्कार के मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि यह एक गंभीर मामला है और केंद्र सरकार को इस पर कदम उठाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है। केंद्र ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की बच्चों से रेप मामलों में जीरो टालरेंस पॉलिसी के साथ है।

    CJI ने लिया है इन घटनाओं पर स्वतः संज्ञान
    दरअसल CJI रंजन गोगोई ने मीडिया में देश भर में बच्चों के साथ रेप की लगातार बढ़ रही घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरु की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से पूरे देश में 1 जनवरी से 30 जून तक ऐसे मामलों में दर्ज FIR और कानूनी कार्रवाई का डेटा तैयार करने के निर्देश दिए थे और रजिस्ट्री ने देश के सभी उच्च न्यायालयों से आंकड़े एकत्रित किए।

    आंकड़े क्या कहते हैं ?
    इनके अनुसार 1 जनवरी से 30 जून तक देश भर में बच्चों से रेप के 24 हज़ार से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें से 11981 मामलों में जांच तल रही है जबकि 12231 केस में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है लेकिन 6649 मामलों में ही ट्रायल शुरू हो पाया है। अभी ट्रायल कोर्ट 911 मामलों में ही फैसला दे पाया है यानी कुल मामलों का 4 फीसदी। इस सूची में उत्तरप्रदेश 3457 मुकदमों के साथ पहले स्थान पर है जबकि 9 मुकदमों के साथ नगालैंड सबसे निचले पायदान पर है।

    उत्तरप्रदेश की स्थिति चिंताजनक
    उत्तरप्रदेश में 50 प्रतिशत से ज्यादा 1779 मामलों की जांच ही पूरी नहीं हो पाई है। इन मामलों में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल नहीं हो पाई। सूची में मध्यप्रदेश दूसरे नम्बर पर है। 2389 मामले तो हुए लेकिन पुलिस ने 1841 मामलों में जांच पूरी कर चार्जशीट भी दाखिल की है। राज्य की निचली अदालतों ने 247 मामलों में तो ट्रायल भी पूरा कर लिया है।

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