वैवाहिक बलात्कार को तलाक का आधार बनाने संबंधी जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की

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10 July 2019 4:54 AM GMT

  • वैवाहिक बलात्कार को तलाक का आधार बनाने संबंधी जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 'वैवाहिक बलात्कार' (Maritial Rape ) को तलाक का आधार बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि यह मामला विधायिका के जनादेश के दायरे में है और इस संबंध में कोई भी न्यायिक आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

    याचिकाकर्ता अनुजा कपूर ने यह दलील दी थी कि वैवाहिक बलात्कार का शिकार होने वाली महिलाओं की दुर्दशा बनी हुई है। यह भी स्पष्ट किया गया कि याचिकाकर्ता वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग नहीं कर रही है बल्कि वह केवल यह चाहती है कि इसे एक सिविल विवाद के लिए वैध आधार के रूप में मान्यता दी जाए।

    मंगलवार को याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति हरि शंकर की पीठ ने कहा कि कानून की स्थिति इस तथ्य पर स्पष्ट है कि अदालत किसी निश्चित मामले पर कानून या उपनियम बनाने के लिए विधायिका को निर्देश नहीं दे सकती है। वैवाहिक बलात्कार के उपाय को विधायिका द्वारा संबोधित किया जाना है और न्यायालय इसके लिए कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता।

    दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की एक याचिका भी लंबित है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि वैवाहिक बलात्कार को पहले से ही आईपीसी की धारा 498 ए के तहत 'क्रूरता' के रूप में अपराध बनाया गया है। अप्रैल 2018 में पारित एक फैसले में गुजरात HC ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की सिफारिश की थी।

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