मेघालय की खदान में फंसे मजदूरों को किसी भी कीमत पर बाहर निकालें : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य से कहा

LiveLaw News Network

5 Jan 2019 12:25 PM GMT

  • मेघालय की खदान में फंसे मजदूरों को किसी भी कीमत पर बाहर निकालें : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य से कहा

    मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को तुरंत निकालने की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र और मेघालय सरकार से कहा है कि वो सात जनवरी को बताएं कि इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं।

    पीठ ने कहा कि भले ही खदान अवैध हो लेकिन मजदूरों को नुकसान क्यों हो। सरकार खदान मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। मजदूरों को हर कीमत पर बचाया जाना चाहिए।

    इस दौरान केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दो मुख्य परेशानियों की वजह से राहत कार्य में दिक्कत आ रही है। पहली ये कि नदी से पानी का रिसाव हो रहा है जिसे रोका नहीं जा पा रहा है। दूसरा थाईलैंड से यहां हालात बिल्कुल अलग हैं क्योंकि वहां गुफा का ब्लूप्रिंट मौजूद है जबकि मेघालय में ये अवैध खदान है और इसका कोई ब्लूप्रिंट नहीं है।

    तुषार ने कहा कि कोर्ट में NDRF को चीफ और नेवी के गोताखोर भी मौजूद हैं।

    वहीं याचिकाकर्ता ने फिर कहा कि खदान से पानी निकालने के लिए 25 हाई पावर पंप ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि सरकारें सात जनवरी तक हलफनामा दाखिल करें।

    गुरुवार को सुनवाई में पीठ ने केंद्र की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि एक- एक सेकेंड कीमती है। अगर थाईलैंड में हाई पावर पंप इस्तेमाल किए जा सकते हैं तो भारत में क्यों नहीं। ऐसे में तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

    वहीं पीठ के सामने तुषार मेहता ने भरोसा दिलाया था कि इस संबंध में केंद्र के एक अधिकारी को नोडल अफसर बनाया जा रहा है। सारी एजेंसियों के बीच तालमेल है और सेना की जगह नौसेना के गोताखोरों को लगाया गया है।

    इससे पहले सुबह की सुनवाई में पीठ ने मेघालय सरकार की कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए कहा था कि मजदूर इतने दिन से फंसे हुए हैं तो क्या कदम उठाए गए ? भले ही कोई जिंदा हो या मृत हो, हमारी प्रार्थना है कि सब जिंदा हों, उन्हें तुरंत बाहर निकाला जाना चाहिए। पीठ ने केंद्र के लॉ अफसर को कोर्ट में पेश होने के लिए निर्देश दिए थे।

    वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश आनंद ग्रोवर ने कहा कि एजेंसियों में तालमेल नहीं है। सेना को ऑपरेशन में शामिल नहीं किया गया। हाई पावर पंप भी इस्तेमाल नहीं किए गए।

    दरअसल मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए कदम उठाने के निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि देशभर में ऐसे मामलों से निपटने के लिए तय नियम प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए और थाईलैंड की तरह राहत का काम होना चाहिए।

    बुधवार को इस संबंध में याचिकाकर्ता आदित्य एन प्रसाद की ओर से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल के सामने जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो गुरुवार को इस पर सुनवाई करेंगे।

    गौरतलब है कि करीब 15 खनिक 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे। खदान में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीमें मौजूद हैं। एनडीआरएफ ने स्थानीय प्रशासन से कम से कम दस 100-एचपी पंप की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। एनडीआरएफ के अधिकारियों का कहना है कि 14 दिन में केवल खदान में फंसे लोगों के 3 हेलमेट ही मिल पाए हैं। लगभग 300 फीट खदान में फंसे लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। स्थानीय लोगों के अनुसार खदान में घुसे लोगों में से किसी ने गलती से नदी से नजदीक वाली दीवार तोड़ दी जिससे सुरंग में पानी भर गया।

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