[Stamp Act] धारा 47-ए (3) गिफ्ट डीड के मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि "बाजार मूल्य" "संपत्ति के मूल्य" के समान नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

20 April 2024 6:27 AM GMT

  • [Stamp Act] धारा 47-ए (3) गिफ्ट डीड के मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि बाजार मूल्य संपत्ति के मूल्य के समान नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि जहां संपत्ति गिफ्ट डीड के माध्यम से स्थानांतरित की गई है वहां भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए (3) को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि धारा 47-ए उन उपकरणों पर लागू होती है जहां स्टाम्प शुल्क "बाजार मूल्य" पर निर्धारित किया गया है, न कि "संपत्ति के मूल्य" पर जैसा कि गिफ्ट डीड में होता है।

    भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए में प्रावधान है कि यदि किसी लिखित में बताई गई संपत्ति का बाजार मूल्य अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम मूल्य से कम है, तो पंजीकरण अधिकारी बाजार मूल्य निर्धारित करने के लिए ऐसे लिखत को पंजीकृत करने से पहले उस पर देय शुल्क के लिए इसे कलेक्टर को संदर्भित करेगा ।

    धारा 47-ए की उप-धारा (3) में प्रावधान है कि किसी भी उपकरण के पंजीकरण की तारीख से 4 साल के भीतर, जिस पर संपत्ति के बाजार मूल्य पर शुल्क लगाया जाता है, कलेक्टर, स्वप्रेरणा से, या किसी के संदर्भ पर अदालत या उसमें उल्लिखित अधिकारियों से, मूल्यांकन किए गए बाजार मूल्य और भुगतान किए गए शुल्क के संबंध में खुद को संतुष्ट करने के लिए ऐसे उपकरण की मांग कर सकता है। यदि उसका मानना है कि ऐसे उपकरण में बाजार मूल्य वास्तव में निर्धारित नहीं किया गया है, तो वह बाजार मूल्य और देय शुल्क निर्धारित कर सकता है।

    सुमित गुप्ता बनाम यूपी राज्य एवं अन्य, विजय कुमार बनाम मुख्य नियंत्रक, राजस्व बोर्ड एवं अन्य तथा साई जनसेवा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णयों पर भरोसा करते हुए जस्टिस शेखर बी सराफ ने आयोजित किया,

    “गिफ्ट डीड के एक मामले में जिसे स्वीकार कर लिया गया है और पंजीकृत किया गया है, अधिकारी अधिनियम की धारा 47-ए की उप-धारा (3) का संदर्भ नहीं ले सकते हैं और संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की मांग नहीं कर सकते हैं। ”

    न्यायालय ने कहा कि यदि संपत्ति का मूल्य कम कर दिया गया है और कम स्टाम्प शुल्क का भुगतान किया गया है, तो अधिकारी अधिनियम की धारा 27, 33, 62, 62-ए, 64 और 64-बी के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।

    तथ्यात्मक पृष्ठभूमि

    प्रतिवादी प्राधिकारी ने विचाराधीन भूमि के गिफ्ट डीड पर इस आधार पर अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क लगाया कि भूमि की क्षमता से इसका बाजार मूल्य बढ़ जाएगा। यह भी कहा गया कि आवासीय क्षेत्र भूमि के 200 मीटर के भीतर हैं और एक पेट्रोल पंप 50 मीटर की दूरी पर कार्यरत है। उक्त आदेश के विरुद्ध दायर अपील खारिज कर दी गई। तदनुसार, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यदि निष्पादित दस्तावेज गिफ्ट डीड है तो स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए के तहत कम स्टाम्प शुल्क की कार्यवाही कायम नहीं रह सकती है। अधिनियम की अनुसूची 1-बी के अनुच्छेद 33 पर भरोसा करते हुए, यह तर्क दिया गया कि गिफ्ट डीड के मामले में, स्टाम्प शुल्क के भुगतान के लिए 'संपत्ति का मूल्य' लिया जाता है, न कि बाजार मूल्य।

    इसके विपरीत, प्रतिवादी के वकील ने इस आधार पर आक्षेपित आदेश का बचाव किया कि भविष्य में आसपास की प्रकृति के कारण भूमि का बाजार मूल्य बढ़ जाएगा।

    हाईकोर्ट का फैसला

    न्यायालय ने कहा कि सुमित गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामले में , इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना था कि गिफ्ट डीड पर स्टाम्प शुल्क निर्धारित करने के लिए बाजार मूल्य प्रासंगिक नहीं है। गिफ्ट डीड पर स्टाम्प शुल्क की गणना के उद्देश्य से संपत्ति का मूल्य पर्याप्त है। न्यायालय ने माना था कि धारा 47-ए को लागू करने के लिए, स्टाम्प शुल्क निर्धारित करने के लिए संपत्ति का बाजार मूल्य लागू होना आवश्यक है।

    न्यायालय ने माना कि गिफ्ट डीड के मामले में बाजार मूल्य की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार, गिफ्ट डीड पर भुगतान की गई स्टाम्प ड्यूटी को पुनर्निर्धारित करने के लिए धारा 47-ए(3) को लागू नहीं किया जा सकता है।

    आपेक्षित आदेशों को रद्द करते हुए, न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ता द्वारा उनके समक्ष रखे गए इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णयों पर विचार न करके गलती की है। न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे "उनके द्वारा की जा रही अर्ध न्यायिक गतिविधियों में उसके दृष्टिकोण में अधिक सतर्क रहें।"

    केस : शील मोहन बंसल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य [ रिट सी नंबर- 18282 / 2023]

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