मुजफ्फरपुर शेल्टर होम : CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, जल्द ही दाखिल होंगी 21 चार्जशीट

LiveLaw News Network

12 Dec 2018 9:28 AM GMT

  • मुजफ्फरपुर शेल्टर होम  : CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, जल्द ही दाखिल होंगी 21 चार्जशीट

    बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप  मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बच्चियों से रेप के मामले में चार्जशीट तैयार है और 21 बच्चियों से रेप व प्रताड़ना के मामलों में जल्द ही 21 चार्जशीट दाखिल करने का फैसला लिया गया है।

    जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष सीबीआई के स्पेशल पीपी ने कहा कि चूंकि हर मामले में पीड़ित अलग- अलग हैं और गवाह भी अलग- अलग हैं, इसलिए ये निर्णय लिया गया है।

    सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि शेल्टर होम चलाने वालों के खिलाफ आयकर जांच का क्या हुआ ? सीबीआई की ओर जवाब दिया गया कि इस संबंध में आयकर विभाग की जांच भी चल रही है लेकिन फिलहाल उनके पास इसकी जानकारी नहीं है।

    पीठ ने इस मामले को अब जनवरी के अंतिम सप्ताह में सूचीबद्घ किया है और कहा है कि आयकर विभाग से भी जानकारी लेकर बताया जाए कि जांच कहां तक पहुंची है।

    28 नवंबर को एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने  बिहार के 16 शेल्टर होम मामलों की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी। जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार के और वक्त देने के आग्रह को ठुकरा दिया था।

    पीठ ने आदेश भी जारी किया कि जांच अफसरों का तबादला नहीं किया जाएगा और बिहार सरकार सीबीआई टीम को यथासंभव मदद मुहैया कराएगी।

    गौरतलब है कि बिहार के 17 शेल्टर होम की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने इन मामलों में नरम रवैया अपनाया।

    पीठ ने याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े की दलील पर गौर किया था जिसमें कहा गया कि कई शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म किया गया लेकिन FIR  मामूली धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए।

    पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत भी मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया ? ये बडा अमानवीय और शर्मनाक है। बिहार सरकार ने हल्के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की।  कोर्ट ने कहा था कि आईपीसी की धारा 377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए। 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं,  पीठ ने सवाल उठाया था कि क्या सरकार की नज़र में वो देश के बच्चे नहीं?

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