सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दिया झटका, सभी 16 शेल्टर होम मामलों की जांच CBI को

LiveLaw News Network

28 Nov 2018 9:27 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दिया झटका, सभी 16 शेल्टर होम मामलों की जांच CBI को

    एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 16 शेल्टर होम मामलों की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी। जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार के और वक्त देने के आग्रह को ठुकरा दिया।

    पीठ ने बुधवार को आदेश जारी किया कि जांच अफसरों का तबादला नहीं किया जाएगा और बिहार सरकार सीबीआई टीम को यथासंभव मदद मुहैया कराएगी।

    बुधवार को हुई सुनवाई में बिहार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सिंह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और कार्रवाई कर रही है। लिहाजा कोर्ट एक और हफ्ते का वक्त दे। लेकिन पीठ ने कहा कि बिहार पुलिस ने इस मामले में कुछ नहीं किया। उसने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया।

    वहीं पीठ ने सीबीआई के वकील से पूछा कि क्या एजेंसी सभी मामलों की जांच के लिए तैयार है तो वकील ने कहा कि एजेंसी जांच नहीं कर सकती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ही सीबीआई के अंतरिम निदेशक पर नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगाई है।

    लेकिन पीठ ने कहा कि किसी मामले की जांच करना नीतिगत फैसले के अंतर्गत नहीं आता। पीठ ने निदेशक से बात करने और पांच मिनट में बताने को कहा। इसके बाद सीबीआई की ओर से कोर को बताया गया कि एजेंसी जांच करने को तैयार है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने जांच के ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए। इस दौरान बिहार सरकार ने कहा कि आईजी ने जांच अफसर को IPC की धारा 377 भी FIR में जोड़ने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा कि क्या कोई भी इस तरह जांच अधिकारी को कह सकता है।

    गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार के 17 शेल्टर होम की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने इन मामलों में नरम रवैया अपनाया। जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने चिंता जताते हुए कहा था कि इन सारे मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाएगा।

    पीठ ने याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े की दलील पर गौर किया था जिसमें कहा गया कि कई शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म किया गया लेकिन FIR  मामूली धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए।

    पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत भी मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया ? ये बडा अमानवीय और शर्मनाक है। बिहार सरकार ने हल्के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की।  कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 377 के तहत भी मुकदमा हो। 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या सरकार की नज़र में वो देश के बच्चे नहीं?

    पीठ ने बिहार सरकार को 24 घंटे में एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा था।

    वहीं पीठ ने कोर्ट में मौजूद बिहार के मुख्य सचिव को भी फटकार लगाई थी।  नाराज़ कोर्ट ने कहा था कि आपका रवैया ऐसा है कि अगर किसी बच्चे के साथ दुराचार होता है तो आप जुवेनाइल बोर्ड के खिलाफ ही कार्रवाई कर देंगे कि बोर्ड कुछ नहीं कर रहा है।

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