नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल और सोनिया गांधी की याचिका पर आयकर नोटिस की वैधता का परीक्षण करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

14 Nov 2018 4:26 PM GMT

  • नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल और सोनिया गांधी की याचिका पर आयकर नोटिस की वैधता का परीक्षण करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट

    नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस की याचिका पर अायकर विभाग के नोटिस की वैधता का परीक्षण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है।

    जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने इसके लिए चार दिसंबर को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है।

    मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के सामने सवाल ये है कि इनकम टैक्स का नोटिस वैध है या नहीं।

    हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक या आयकर विभाग को नोटिस जारी करने की मांग पर पीठ ने कहा कि जब मामले की अंतिम सुनवाई को तैयार हैं तो इनकम टैक्स को नोटिस जारी हो या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पडता क्योंकि सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता आयकर विभाग के लिए पेश हो चुके हैं।

    दरअसल तीनों ने वित्तीय वर्ष 2011-2012 के लिए टैक्स के पुनर्मूल्यांकन  को लेकर जारी किए गए इनकम टैक्स नोटिस को चुनौती दी है।

    वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश पी चिदंबरम ने कहा कि ये सिर्फ शेयर ट्रांसफर का मामला है। इसे आय नहीं कहा जा सकता। वहीं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी फिलहाल नोटिस जारी कर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की गुहार लगाई।

    गौरतलब है कि 9 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में  सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राहत नहीं दी थी। हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ सोनिया और राहुल की याचिका खारिज कर दिया था।

    सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली हाईकोर्ट में आयकर विभाग के उस नोटिस को चुनौती दी थी जिसमें वित्तीय वर्ष 2011-2012 के लिए टैक्स के पुनर्मूल्यांकन की मांग की गई थी।

    सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तर्ज पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आस्कर फर्नांडीज ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में यंग इंडिया और नेशनल हेराल्ड के लेनदेन आंकलन को आयकर विभाग द्वारा फिर से खोलने को चुनौती दी थी।

    आयकर विभाग के अनुसार राहुल गांधी के साल 2011-12 के आयकर आंकलन को फिर से करने का निर्णय किया गया क्योंकि उन्होंने उसमें यह जानकारी नहीं दी कि वह 2010 से कंपनी ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के डायरेक्टर थे।

    इससे पहले हाई कोर्ट की पीठ ने राहुल के वकीलों द्वारा कोर्ट की कार्यवाही के प्रकाशन या रिपोर्टिंग से मीडिया को रोकने के मौखिक गुजारिश को खारिज कर दिया था।

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