राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
27 Sept 2018 11:55 AM IST
राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है।
बुधवार को ये फैसला सुनाते हुए तीन जजों की बेंच ने कहा,’ सूरज की रोशनी रोगनाशक होती है ‘ पीठ ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में नियम बनाए जाएंगे। इससे न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी।
24 अगस्त को मुद्दे पर अटार्नी जनरल द्वारा विस्तृत गाइडलाइन दाखिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढेगी और खुली अदालत के सिद्धांत के ये अनुरूप है।
इधर AG के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट नें गाइडलाइन दाखिल की। इसमें कहा गया है कि लाइव स्ट्रीमिंग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर चीफ जस्टिस की कोर्ट से शुरू हो और सफल होने पर दूसरी अदालतों में लागू किया जा सकता है।इसमें संवैधानिक मुद्दे शामिल हों। वैवाहिक विवाद, नाबालिगों से जुडे मामले, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द से जुडे मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होनी चाहिए।
AG ने सुझाव दिया कि कोर्टरूम की भीड़भाड़ करने के लिए वादियों, पत्रकार, इंटर्न और वकीलों के लिए एक मीडिया रूम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट गाइडलाइन जारी करेगा तो सरकार संसाधनों के लिए फंड रिलीज करेगी। वहीं एक वकील ने इसका विरोध भी किया।
हालांकि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने साफ किया कि अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 3 अगस्त को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गाइडलाइन तैयार कर कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे।
पीठ ने कहा था कि महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों और अहम सामाजिक मामलों में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकती है। इस मामले में कोर्ट को समग्र गाइडलाइन चाहिए।कोर्ट ने AG के के वेणुगोपाल को कहा था कि वो अन्य याचिकाकर्ता के भी सुझावों को लें और समग्र गाइडलाइन कोर्ट में दाखिल करें।इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को लाइव दिखाने की पीठ ने वकालत की थी।
वहीं केंद्र सरकार ने भी मांग का समर्थन किया था। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट तैयार होता है तो सरकार लोकसभा या राज्यसभा की तरह अलग से सुप्रीम कोर्ट चैनल की व्यवस्था कर सकती है।
26 मार्च को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल के साथ-साथ बार की दलीलें सुनने पर जोर दिया था।