यौन उत्पीड़न मामलों में मीडिया रिपोर्ट पर सख्त सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की पहचान को लेकर जारी किए दिशानिर्देश, गाइडलाइन बनाने को लेकर PCI, NBA को नोटिस [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

21 Sep 2018 11:43 AM GMT

  • यौन उत्पीड़न मामलों में मीडिया रिपोर्ट पर सख्त सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की पहचान को लेकर जारी किए दिशानिर्देश, गाइडलाइन बनाने को लेकर PCI, NBA को नोटिस [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि मीडिया रिपोर्टिंग में यौन उत्पीड़न की शिकार होने वाली पीड़ितों की पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए। ना ही किसी भी तरह उनकी तस्वीर दिखाई जा सकती है। पीड़ित का कोई इंटरव्यू भी मीडिया नहीं दिखाएगा।

    गुरुवार को बिहार के शेल्टर होम की घटना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि कोर्ट मीडिया से आग्रह करता है कि वो यौन उत्पीड़न की घटनाओं को सनसनीखेज ना बनाए।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया आत्म चिंतन करे कि ये क्या हो रहा है।

    वहीं पीठ ने ऐसे मामलों में मीडिया रिपोर्टिंग पर गाइडलाइन बनाने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, नेशनल ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी, एडिटर्स गिल्ड और IBF को नोटिस जारी कर सहयोग मांगा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते के बाद करेगा।

    वहीं पत्रकार निवेदिता झा की याचिका पर पटना हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी गई है जिसमें मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाई गई थी।

    याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस लोकुर ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता। लेकिन जिस तरीके से ऐसे मामलों में मीडिया जजमेंट दे रहा है और बिना ट्रायल आरोपियों को दोषी करार दे रहा है, उसे लेकर कुछ गाइडलाइन होनी चाहिएं।

    पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े से सलाह मांगी तो उनका कहना था कि ऐसे केसों में मीडिया ट्रायल चलता है। उनसे जुड़ी संस्थाओं को इसमें शामिल करना चाहिए। पुलिस भी ऐसे मामलों में मीडिया के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती।

    वहीं अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी हाल ही में हुई कठुआ घटना का जिक्र करते हुए पीठ को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मीडिया हाउस को नोटिस जारी किया था और इसके लिए दस- दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।


     
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