सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंटर्न से कहा, सीधा प्रसारण से आपको फ़ायदा होगा, भीड़ में खड़े होने की क्या जरूरत है?

LiveLaw News Network

3 Aug 2018 4:33 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंटर्न से कहा, सीधा प्रसारण से आपको फ़ायदा होगा, भीड़ में खड़े होने की क्या जरूरत है?

    मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने याचिकाकर्ता इंटर्न स्वप्निल त्रिपाठी से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट परिसर में सीधा प्रसारण केंद्र शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को दिशानिर्देश सौंपें। यह केंद्र सिर्फ लॉ इंटर्न और क़ानून के छात्रों के लिए होगा।

     सुप्रीम कोर्ट ने दो अन्य दिनों को भी अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति की याचिका पर बिना कोई आदेश दिए याचिकाकर्ता स्वप्निल त्रिपाठी से कहा कि वह लॉ इंटर्न और कानून के छात्रों के लिए सीधा प्रसारण केंद्र खोलने के बारे में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को दिशानिर्देश सौंपें। याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य दिनों को भी अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति मांगी थी।

     वर्तमान में लॉ इंटर्न और क़ानून के छात्रों को सोमवार और शुक्रवार को अदालत कक्ष में जाने की अनुमति नहीं है। यही वे दो दिन हैं जब भारी संख्या में जनहित याचिकाओं की सुनवाई होती है।

     रजिस्ट्री के अनुसार, ऐसा अदालत परिसर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

    त्रिपाठी कोर्ट में महत्त्वपूर्ण मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण की अनुमति देने की मांग वाली याचिका में सह-आवेदक हैं।

    “आप अपना सुझाव अटॉर्नी जनरल को दे दीजिये। हम उस पर गौर करेंगे,” मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने त्रिपाठी से कहा। त्रिपाठी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर में क़ानून के पांचवें वर्ष के छात्र हैं।

    जब त्रिपाठी ने सभी दिन अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति मांगी तो न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण आपकी सभी समस्याओं का हल कर देगा। जब आप कोर्ट की कार्यवाही को सीधा अपने स्क्रीन पर देख सकते हैं तो भीड़ भरे अदालती कक्ष में खड़े होने की आपको क्या जरूरत है”।

     त्रिपाठी ने सोमवार और शुक्रवार को अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं देने संबंधी रजिस्ट्री के आदेश को अपनी याचिका में चुनौती दी है।

     “मिश्रित दिनों को लॉ इंटर्न पर लगा प्रतिबन्ध उनके सीखने के अवसर को सीमित करता है क्योंकि अधिकाँश महत्त्वपूर्ण बहस और प्रमुख मामले इन्ही दो दिनों को सुने जाते हैं...इस तरह की अनुमति नहीं देने से लॉ इंटर्न के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है,” त्रिपाठी ने अपनी याचिका में यह कहा है।

    लॉ इंटर्न और क़ानून के छात्रों पर यह प्रतिबन्ध सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने लगाया है ताकि इन दोनों दिन अदालत कक्ष में लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

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