दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को मिलवाया; पुलिस प्रशासन की जमकर खिंचाई की [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

31 July 2018 5:03 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को मिलवाया; पुलिस प्रशासन की जमकर खिंचाई की [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गत सप्ताह अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले एक जोड़े को मिलवा दिया पर इस मामले में पुलिस की भूमिका की आलोचना की।

     न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोएल की पीठ ने संदीप कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अपने आदेश से इस जोड़े को एक दूसरे से मिलवाया।

     कुमार ने कोर्ट से कहा था कि उसने और निशा ने 28 जून को इस वर्ष हिंदू रीति से शादी की। निशा मुस्लिम है और उसने हिंदू धर्म कबूल किया। यह गाज़ियाबाद विवाह पंजीकरण अधिकारी-V के समक्ष पंजीकृत कराया।

     निशा के पिता ने पुलिस से संपर्क किया और पुलिस ने जवारलाल नेहरू विश्वविद्यालय स्थिति कुमार से मिलने के बाद उसको गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। कुमार को 3 से 5 जुलाई के बीच जेल में रखा गया और कहा गया कि अगर उसने दुबारा निशा से संपर्क करने की कोशिश की तो उस पर बलात्कार के मुक़दमे दायर कर दिए जाएंगे।

     इसके बाद उसने हाईकोर्ट में आवेदन दिया। कोर्ट का नोटिस मिलने पर वसंत कुंज (उत्तर) के एसएचओ गगन भास्कर ने 24 जुलाई को एक स्थिति रिपोर्ट पेश की और कहा कि कुमार के खिलाफ निशा के पिता के कहने पर धारा 366 के तहत अगवा करने का मामला दर्ज किया गया है।

     पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया कि निशा को जेएनयू से ले जाने के बाद कोर्ट में पेश किया गया जहां उसने कथित रूप से कहा कि वह अपने परिवार के पास स्वेच्छा से लौटना चाहती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके बाद जांच अधिकारी ने उसे उसके पिता को सुपुर्द कर दिया।

    पर 24 जुलाई को हुई सुनवाई में जज निशा से मिले और उसने उस समय कुमार के पास लौटने की इच्छा जताई। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि निशा बालिग़ है और वह अपना निर्णय खुद ले सकती है।

     कोर्ट ने इसके बाद निशा की माँ से बात की और उसको यह बात बताई कि निशा को अपने इच्छा के अनुसार किसी लड़के से शादी का अधिकार है। कोर्ट ने कहा, “...निशा की माँ ने हमारे सामने कहा कि निशा जाने कि वह अपने जीवन के साथ क्या करना चाहती है।”

    इसके बाद कोर्ट ने निशा को कुमार के पास वापस जाने की इजाजत दे दी और उसने वसंत कुंज (उत्तर) के एसएचओ को निर्देश दिया कि वह कुमार के घर पर जाए और अगर उसको सुरक्षा की जरूरत है तो वह मुहैया कराए।

     कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की खिंचाई की और कहा कि यह जानते हुए भी कि निशा पूर्णतया बालिग़ है, उसने कैसे उसे उसके पिता को सुपुर्द किया।

     पीठ ने इसके बाद लोनी थाने के एसआई शरद कुमार शर्मा को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि वह अज़हर की सूचना पर कैसे कार्रवाई करने को उद्यत हुआ और एफआईआर नंबर 1217/2018 दायर किया। कोर्ट ने उससे यह भी बताने को कहा है कि क्या उसने 3 जुलाई 2018 को अपने जेएनयू जाने की योजना के बारे में वसंत कुंज (उत्तर) के पुलिस अधिकारियों को बताया था या नहीं।

     कोर्ट में पेश किए बिना कुमार को 3 से 5 जुलाई तक जेल में रखने के आरोप पर भी उससे कोर्ट ने जवाब माँगा है। कोर्ट ने वसंत कुंज (उत्तर) के एसएचओ गगन भास्कर से भी यह बताने को कहा है कि उसने किन परिस्थितियों में लोनी थाने की पुलिस को कुमार और निशा को जेएनयू से ले जाने की अनुमति दी। ये दोनों ही हलफनामे इस मामले की 7 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई से पहले दायर करने को कहा गया है।


     
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