मैंने जब भी कुछ गलत होते हुए देखा, उसके खिलाफ आवाज उठाई : कांफ्रेंस और मूल्यों पर रिटायर होने के बाद बोले न्यायमूर्ति चेलामेश्वर

LiveLaw News Network

20 May 2018 11:51 AM GMT

  • मैंने जब भी कुछ गलत होते हुए देखा, उसके खिलाफ आवाज उठाई : कांफ्रेंस और मूल्यों पर रिटायर होने के बाद बोले न्यायमूर्ति चेलामेश्वर

    सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर का कोर्ट में यह अंतिम दिन था। अदालत कक्ष संख्या एक में उन्होंने अंतिम दिन मामले की सुनवाई की। बार के अधिकाँश सदस्य इस कक्ष से अपने को दूर रखा लेकिन लॉयर्स कलेक्टिव ने उसी शाम निवर्तमान जज के लिए एक स्वागत समारोह का आयोजन किया।

    इस समारोह में अपने संबोधन में न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने जहाँ युवा पीढी से मिले समर्थन के प्रति अपना आभार जताया वहीं मजाकिया लहजे में कहा कि एक करोड़ रुपए एक दिन में लेने वाले वकील शायद ही कभी अपना मुँह खोलते हैं और शायद ही किसी मुद्दे पर कोई राय व्यक्त करते हैं।


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    उन्होंने कहा, “मुझे कहा गया है कि पिछले डेढ़ साल में मैंने इस संस्थान के लोकतंत्रीकरण के पक्ष में कदम उठाया है। नई पीढी मेरे साथ खड़ी रही है। स्थापित और जानेमाने संवैधानिक वकीलों और न्यायविदों ने हर और से हमारे ऊपर प्रहार किया।”

    एक जज के रूप में वे किन मूल्यों से निर्देशित हुए इस पर न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “अगर कोई बात अच्छी है, तो उसको बचाकर रखा जाना चाहिए; अगर किसी बात में संदेह है, तो उसकी जांच होनी चाहिए और उसको दूर किया जा सकता है; अगर कोई बात खराब है तो उसको समाप्त कर देना चाहिए। मैं इन्हीं विश्वासों के साथ काम करता हूँ। मुझे इस व्यवस्था में किसी के भी खिलाफ कुछ नहीं है...

    मैं कुछ उसूलों और मुद्दों के पक्ष में खड़ा हुआ हूँ। जहाँ भी मैंने यह महसूस किया कि चीजें सही दिशा में नहीं जा रही हैं, मैं खड़ा हुआ और प्रश्न पूछा।”

    उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे हमेशा ही परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे, भले ही वह एनजेएसी के फैसले के बाद कॉलेजियम की बैठक में नहीं जाना हो या इस वर्ष हुआ प्रेस कांफ्रेंस हो।  उन्होंने कहा,

    “ऐसा कौन सा क़ानून या धर्मग्रन्थ है जो कहता है कि जजों को प्रेस कांफ्रेंस नहीं करना चाहिए? उन्हें अपने फैसले को जायज ठहराने के लिए प्रेस कांफ्रेंस नहीं करना चाहिए… मैं जानता हूँ कि जब मैं अपना मुँह खोलता हूँ तो मुझे ये सारी बातें झेलनी पड़ेंगी, और मैं इसके लिए तैयार था...

    ...लेकिन स्थापित व्यवस्था कुछ ऐसी है कि प्रश्न पूछने को अच्छा नहीं माना जाता। अगर आप अच्छा बदलाव लाना चाहते हैं तो आपमें व्यवस्था से लड़ने की हिम्मत होनी चाहिए, दृढ़ता होनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि हर लड़ाई अच्छी ही हो। पर अगर आप सिद्धांत के बारे में आश्वस्त हैं कि अच्छे बदलाव के लिए लड़ाई की जानी चाहिए, तो आगे बढ़िए!”

    उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के बाद हुई प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र किया पर इस बात पर अफ़सोस जाहिर किया कि या तो पूर्व जजों की इस बारे में कोई राय नहीं थी या फिर बिना अपनी पहचान जाहिर किए बिना बोलना चाहते थे।

    “पिछले छह माह में, मैं देश में जहाँ भी गया, लोग मेरे पास आकर बोले, “हम लोग खुश हैं कि आपने ऐसा किया”...मेरे लिए सबसे खेदजनक बात यह थी कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जजों ने मुझे फोन करके कहा, “हम दुआ करते हैं आपको और ताकत मिल”।

    सर, कृपया अब तो बोलिए!,” उन्होंने कहा।

    उन्होंने कहा कि अब उन्हें युवा पीढी पर भरोसा है कि वे इस मुद्दे को आगे बढ़ाएंगे और अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उन्होंने अपना भाषण यह कहते हुए समाप्त किया कि वह देश की सेवा करते रहेंगे और नई पीढी को उन्होंने उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

    लोग खड़े हुए और जैसा कि स्वाभाविक था, उनके अभिवादन में तालियाँ बजाई।

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