अधिसूचित रूट पर निजी वाहनों को अस्थाई परमिट नहीं दिया जा सकता जिस पर राज्य परिवहन ठीक ठाक सेवा दे रहा है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

19 May 2018 4:15 AM GMT

  • अधिसूचित रूट पर निजी वाहनों को अस्थाई परमिट नहीं दिया जा सकता जिस पर राज्य परिवहन ठीक ठाक सेवा दे रहा है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ऐसे अधिसूचित रूट पर निजी स्टेज कैरिज को अस्थाई परमिट नहीं जारी किया जा सकता है जिस पर राज्य परिवहन (एसटीयू)...अच्छी सेवाएं दे रहा है।

    न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति मोहन एम शंतानुगौदर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 104 के तहत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए अधिसूचित रूट पर निजी वाहनों को अस्थाई परमिट जारी कर सकता है।

    केरल सरकार ने 14 जुलाई 2009 को अधिनियम की धारा 100 के तहत एक आदेश जारी कर राज्य में बेहतर परिवहन सेवाएं मुहैया कराने की बात कही थी।

    इस योजना के तहत कोट्टायम-कोझिकोड रूट को एक अधिसूचित रूट घोषित किया गया। इस योजना के तहत इस रूट पर राज्य परिवहन की बसें चलनी थीं और इसमें निजी वाहनों को अनुमति नहीं होगी।

    इसमें कहा गया निजी क्षेत्र को 9 मई 2006 से पहले जो परमिट जारी किया जा चुका है वह इस परमिट के समाप्त होने तक जारी रहेगा। इसके बाद उनको नियमित परमिट दे दी जाएगी। पर जब भी एसटीयू नई सेवा शुरू करने के लिए आवेदन करता है, तो उतनी ही संख्या में निजी वाहनों को जिनका परमिट एसटीयू के आवेदन के बाद समाप्त हो जाता है, का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।

    बेबी पीपी नामक एक निजी स्टेज कैरियर ऑपरेटर ने इस अधिनियम की धारा 104 के तहत पल्लिसेरी-अंगमली-पेरुम्बवूर रूप पर परमिट के लिए आवेदन दिया। इस रूट की कुल लम्बाई 28 किलोमीटर है।

    आरटीए ने उसका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि अंगमली से पेरुम्बवूर रूट की दूरी 13 किलोमीटर है। उसने इसके खिलाफ अंततः हाईकोर्ट में अपील की।

    हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और कहा, “याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रहा है कि प्रथम प्रतिवादी या कोई भी निजी ऑपरेटर अस्थाई परमिट नहीं प्राप्त कर सकता है...एसटीए या आरटीए, दोनों में से जो भी हो, जब तक उनके वाहन सड़क पर आते हैं तब तक आम लोगों की सुविधा के लिए निजी वाहनों को अस्थाई परमिट दी जा सकती है।”

    इसके बाद एसआरटीसी सुप्रीम कोर्ट गया।

    सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 99 और 100 और आदर्श ट्रेवल्स बस सर्विस एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले का जिक्र किया। पीठ ने वर्तमान मामले का जिक्र करते हुए कहा, “...एसटीयू अधिसूचित रूट पर 452 बसों (770 बारी) का हर दिन परिचालन करती रही है यानी अंगमली से पेरुम्बवूर के बीच और इसमें 13 किलोमीटर की ओवरलैपिंग का दावा किया गया है. जहाँ तक अंगमली से पेरुम्बवूर रूट की बात है, वह निस्संदेह एक अधिसूचित रूट है। इस तरह, एसटीयू के पास इस योजना के अनुसार स्टेज कैरिज चलाने और परमिट प्राप्त करने का एकाधिकार है और निजी ऑपरेटरों के वाहन तभी चल सकते जब एसटीयू उस अधिसूचित रूट पर वाहन नहीं चला रहा है और इस स्थिति में निजी स्टेज कैरिज ऑपरेटरों को अस्थाई परमिट दिया जा सकता है।

    “...निस्संदेह, एसटीयू की 450 से ज्यादा बसें हर दिन अधिसूचित रूट पर चल रही हैं जो कि अंगमली से पेरुम्बवूर  के बीच चलती है। प्रतिवादी नंबर 1 यह दावा नहीं कर सकता कि चूंकि एसटीयू अंगमली के रास्ते पल्लिसेरी और पेरुम्बवूर के बीच पर्याप्त बस नहीं चला रही है इसलिए वह इसका दावा नहीं कर सकती।”


     
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