रिटायर हुई बैंक कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2002 के पहले और बाद में रिटायर होने वाले लोगों की दो श्रेणियों को जायज ठहराया; कहा –एक ही श्रेणी खतरनाक हो सकता है [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

18 May 2018 4:57 AM GMT

  • रिटायर हुई बैंक कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2002 के पहले और बाद में रिटायर होने वाले लोगों की दो श्रेणियों को जायज ठहराया; कहा –एक ही श्रेणी खतरनाक हो सकता है [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नवंबर 2002 से पूर्व और नवंबर 2002 के बाद रिटायर होने वाले लोगों की दो अलग अलग श्रेणियां बनाए जाने को सही ठहराया क्योंकि दोनों का ही आधार अलग है और दोनों के लिए महंगाई भत्ते की गणना का आधार अलग है। अगर एक ही तरीका अपनाया गया तो इस मद का खर्च हर साल 1288 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा।

    न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोएल और यूयू ललित की पीठ ने यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। यह याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा सितंबर 2016 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर किया गया है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा था कि दो श्रेणियां बनाने की जरूरत नहीं है और याचिकाकर्ता (बैंक) को सभी पेंशनधारियों को एक ही दर से महंगाई भत्ता देना पड़ेगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने एबी कस्तूरीरंगन बनाम केनरा बैंक मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को सही बताया था। कोर्ट ने कहा था, “इस सेटलमेंट को पैकेज डील माना जाना चाहिए...”।

    कोर्ट ने कहा, “…यह एक ऐसा मामला नहीं है कि कुछ कर्मचारी सिर्फ दूसरे से इसलिए अलग हैं क्योंकि उनके रिटायर होने का समय अलग है। अगर हम सबके लिए 0.24% की दर को मान लें, जैसे कि मांग की गई है, तो जो 1 नवंबर 2002 से पहले रिटायर हुए हैं उनको इस तिथि के बाद रिटायर होने वाले लोगों से ज्यादा फायदा होगा। हम 0.18% का एक दर भी लागू नहीं कर सकते। हर वर्ग पर विशेष मानदंड लागू है जो कि नीतिगत मामला है। दोनों को मिलाकर दोनों वर्गों के लिए एक ही मानदंड लागू करना संभव नहीं है। दोनों ही वर्ग अलग-अलग हैं और वे एक ही समूह के नहीं हैं। इन दोनों के लिए एक ही दर अपनाना खतरनाक होगा, जैसे कि मांग की गई है।

    देश के 58 बैंकों के प्रबंधनों और आल इंडिया बैंक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के बीच 20 अक्टूबर 1993 को एक समझौते के मसौदे पर सहमति व्यक्ति की गयी थी। इसमें कहा गया था कि सभी पक्ष भविष्य निधि में नियोक्ता की राशि के योगदान के बदले बैंक में पेंशन योजना लागू किये जाने पर सहमत हो गए और यह पेंशन योजना केंद्र सरकार/रिजर्व बैंक की इस योजना के तर्ज पर होगा।

    इस मेमोरेंडम में कहा गया है कि पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता रिज़र्व बैंक के कर्मचारियों को जिस तरह से मिलती है उसी तरह से मिलेगी और इसकी दर के बारे में समय समय पर बताया जाएगा।

    1 अप्रैल 1998 से 31 अक्टूबर 2002 के बीच अवकाश प्राप्त करने वाले लोगों को महंगाई भत्ता 0.24% की दर से 3550 रुपए प्रति माह का पेंशन मिलेगा। वे कर्मचारी जो 1 नवंबर 2002 से 30 अप्रैल 2005 के बीच रिटायर होने वाले कर्मचारियों को 0.18% की दर से महंगाई भत्ता मिलने की बात कही गयी।

    कुछ रिटायर कर्मचारी यह कहते हुए कि रिज़र्व बैंक ने अपने उन कर्मचारियों को जो 1 नवंबर 2002 के बाद रिटायर हुए हैं, अब पूरा महंगाई भत्ता देना शुरू कर दिया है, जबकि यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया के कर्मचारियों को यह नहीं दिया जा रहा है, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए। इन कर्मचारियों ने इसे समझौते का उल्लंघन बताया।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रस्ताव/सर्कुलर पर भरोसा करना गलत है। यह सही है कि रिज़र्व बैंक ने घटती राशि के फ़ॉर्मूले को छोड़ दिया है पर सिर्फ इतने भर से 1 नवंबर 2002 से पहले रिटायर हुए लोगों को उस दर से महंगाई भत्ता नहीं दिया जा सकता जिस दर से रिज़र्व बैंक दे रहा है या 0.24% की एक दर से नहीं दिया जा सकता।”


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