दिल्ली हाई कोर्ट ने दुहराया, निचली अदालत आरोपी को माफी की गुंजाइश के बिना 14 साल से अधिक के उम्र कैद की सजा का आदेश नहीं दे सकता [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

3 April 2018 6:00 AM GMT

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने दुहराया, निचली अदालत आरोपी को माफी की गुंजाइश के बिना 14 साल से अधिक के उम्र कैद की सजा का आदेश नहीं दे सकता [निर्णय पढ़ें]

    निचली अदालत द्वारा हत्या के अभियुक्त के लिए आजीवन कारावास की सजा को 25 साल बिना माफी के करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई अदालत 14 साल से अधिक की सजा बिना माफी की गुंजाइश के नहीं सुना सकता।

    न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने कहा, “…भारत संघ बनाम वी श्रीहरण मामले में दिए गए फैसले के बाद सुनवाई अदालत संभवतः यह नहीं कह सकता कि आरोपी को 14 साल से आगे भी बिना किसी माफी के आजीवन कारावास की सजा भोगनी पड़ेगी”।

    यह गौर करने वाली बात है कि श्रीहरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि आईपीसी की धारा 53 और 45 के तहत उम्र कैद का मतलब होता है उम्र भर के लिए कैद और माफी, सजा कम करने आदि का अधिकार जो कि अनुच्छेद 72 या 161 के तहत दिया गया है, वह हमेशा ही संवैधानिक उपचार के रूप में उपलब्ध रहेगा और कोर्ट उसे छू तक नहीं सकता।

    दिल्ली हाई कोर्ट गोविन्द नामक एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसको उत्तर पश्चिम दिल्ली में 6 अप्रैल 2013 को दो लोगों को छुरा घोंपकर हत्या कर देने के आरोप में सजा सुनाई गई थी।

    दिसंबर 2014 में सत्र अदालत ने उसे आजीवन सश्रम कारावास की सजा इस शर्त पर सुनाई कि वह 25 साल की वास्तविक सजा जेल में काटेगा और 25 साल की सजा से पहले उसको किसी भी तरह की माफी नहीं दी जाएगी।

    इसके अलावा, उस पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया और यह राशि मृतक के परिवार को देने का आदेश दिया गया।

    इस व्यक्ति को दोषी मानने को सही ठहराते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि उम्र कैद की सजा अपने आप में ही कड़ी सजा है, इसके साथ भारी जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए”।

    इस बारे में उसने पलानिअप्पा गौंदर बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख किया जिसमें उसने कहा था कि जुर्माने की सजा आवश्यक रूप से बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

    वी श्रीहरण के फैसले का जिक्र करते हुए हाई कोर्ट ने सजा के इस फैसले को संशोधित करते हुए उसे उम्र कैद के सजा सुनाई और 5000 रुपए का जुर्माना किया।


     
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