विचाराधीन कैदियों को निचली अदालत से जमानत देने के बारे में दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

3 April 2018 5:47 AM GMT

  • विचाराधीन कैदियों को निचली अदालत से जमानत देने के बारे में दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली हाई कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को निचली अदालतों द्वारा जमानत दिए जाने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह आदेश इस बारे में दायर आवेदन पर सुनवाई के बाद दी गई कई विचाराधीन कैदी जेलों में में बंद हैं जबकि उनको जमानत दी जा चुकी है।

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और सी हरि शंकर की पीठ ने एडवोकेट अजय वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए। याचिका में कहा गया कि विचाराधीन कैदियों को जमानत के बावजूद नहीं छोड़े जाने का प्रमुख कारण उनकी गरीबी, उनके रिश्तेदारों द्वारा जमानत की राशि का भुगतान नहीं कर पाना या स्थानीय जमानत नहीं दे पाना होता है।

    गत माह हुई एक सुनवाई में कोर्ट ने दिसंबर में पास किए गए एक विस्तृत आदेश पर गौर किया जिसमें उसने जिला और सत्र न्यायाधीशों से कहा था कि वे उन सन्दर्भों में “जोखिमों का आकलन” करें जहाँ पर कोई विचाराधीन कैदी जमानत मिलने के बावजूद जेल से नहीं छूट पाया हो।

    कोर्ट ने अब कहा है कि इस तरह का आदेश पास कर देने से ही उसके कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाती और इस मामले की लगातार समीक्षा की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, “...जब यह मामला संविधान के अनुच्छेद 21 से संबंधित है तो यह लोगों के जीवन और उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित करती है। यह मामला तब ज्यादा होता है जब कोर्ट जेल में बंद किसी भी व्यक्ति से संबंधित होता है। इसलिए जमानत देने वाली सभी अदालतों की यह जिम्मेदारी और कर्तव्य है कि इन फैसलों पर अमल भी हो और इसको सर्वाधिक वरीयता दी जानी चाहिए।”

    मुख्य निर्देश :




    1. सुनवाई अदालत न केवल संवेदनशील हो बल्कि उसे चौकस भी रहना होगा कि जमानत देने के आदेश पर अमल भी हो।

    2. जब जमानत दी जाती है, कैदी की हिरासत वारंट पर इस बात की स्वीकारोक्ति हो कि जमानत दे दी गई है और उस पर जमानत के आदेश की तारीख भी हो।

    3. अगर कैदी जमानत मिलने के बावजूद रिहा नहीं हो पाता है तो यह निचली अदालत का कर्तव्य है कि वह इसके कारणों की समीक्षा करे।

    4. जमानत के हर आदेश को फाइल पर चिन्हित किया जाए। यह जमानत देने वाले उस जज की जिम्मेदारी होगी कि वह देखे कि उसके आदेश को लागू किया गया या नहीं।

    5. अगर जमानत देने वाले जज का तबादला हो जाता है तो यह जिम्मेदारी उस जज की होगी जो उनकी जगह पर आते हैं।

    6. अगर किसी कैदी को जमानत मिलने के बाद भी रिहा नहीं किया गया है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के ध्यान में इस बात को लाना जेल प्राधिकारियों का दायित्व होगा।

    7. सभी सुनवाई अदालत जमानतद दिए जाने और उस व्यक्ति को जेल से छोड़े जाने के बारे में हर तरह का रिकॉर्ड रखेगा।


    इन बातों के अलावा, यह निर्देश भी दिया गया कि दिल्ली न्यायिक अकादमी के निदेशक (अकादमिकों) विचाराधीन कैदियों को निचली अदालतों के जजों द्वारा जमानत देने और जेल से रिहा करने के बारे में एक प्रशिक्षण मोड्यूल तैयार करे।

    इस मामले पर अगली सुनवाई अब 1 मई को होगी।


     
    Next Story