AG की राय में ‘मतभेद’ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को पूर्व स्वायत्ता देने की PIL पर केंद्र से रुख पूछा

LiveLaw News Network

19 Feb 2018 9:28 AM GMT

  • AG की राय में ‘मतभेद’ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को पूर्व स्वायत्ता देने की PIL पर केंद्र से रुख पूछा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार का रुख मांगा है जिसमें चुनाव आयोग के लिए पूर्ण स्वायत्तता मांगी गई है और चुनाव आयुक्तों को हटाने के नियमों में बदलाव की मांग की गई है।

    मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2 दिसंबर को इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सहायता मांगी थी।

     सुनवाई की शुरूआत में  एजी ने कहा, "यह एक जनहित याचिका है। वह निर्वाचन आयोग के  और चुनाव आयुक्त  के हटाने के लिएस्वायत्तता मांग रही है। मेरी राय के कुछ अंतर हैं, इसलिए केंद्र की तरफ से पहले पक्ष मांग की जा सकती है।”

    इसके बाद बेंच ने आदेश दिया: "अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद चार सप्ताह के भीतर केंद्र की तरफ से प्रतिक्रिया दे सकतीहैं। “

    बेंच ने रिकॉर्ड पर कुछ दस्तावेजों को रखने के लिए  चुनाव आयोग की याचिका को भी अनुमति दी।

    दरअसल वकील और दिल्ली भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि सुप्रीम कोर्ट में निहित नियम बनाने वाले प्राधिकरण की तर्ज पर भारत के चुनाव आयोग पर नियम बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं औरइसे चुनाव संबंधी नियम और आचार संहिता बनाने के लिए सशक्त बनाया जाए।”

    चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता को मजबूत करने और अपनी पवित्रता बनाए रखने के लिए उन्होंने सरकार से परामर्श के बाद चुनाव आयोग  को नियम बनाने के लिए एक नई रूपरेखा की मांग की।

     "भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 की भावना के तहत चुनाव आयोग को कार्यपालिका / राजनीतिक दबाव से बचाने के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है।” याचिका में कहा गया है।  उपाध्याय ने भारत के चुनाव आयोग को स्वतंत्र सचिवालय प्रदान करने और लोकसभा / राज्यसभा सचिवालय की तर्ज पर समेकित निधि दिए जाने के लिए केंद्र को दिशा निर्देश  देने की भी प्रार्थना की।

     याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकता  जब तक कि CEC  और ECsसमान रूप से संरक्षित नहीं हो जाते। इसके व्यय को समांकेतिक निधि के रूप में लिया जाए और स्वतंत्र सचिवालय और नियम बनाने का अधिकार दिया जाए। याचिका में कहा गया कि गोस्वामी समिति, चुनाव आयोग और विधि आयोग सहित विभिन्न समितियां और कमीशन (255 वीं रिपोर्ट में) ने इस संबंध में सुझाव दिया है लेकिन कार्यपालिका ने अब तक उन अनुशंसाओं को लागू नहीं किया है।

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