वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए ऑनलाइन पेटीशन शुरू किया

LiveLaw News Network

21 Jan 2018 12:08 PM GMT

  • वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए ऑनलाइन पेटीशन शुरू किया

    सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए याचिका दायर करने के बाद वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अब इस मुद्दे को लेकर एक ऑनलाइन (change.org Petition) पेटीशन शुरू किया है।

    सूचना और प्रसारण मंत्रालय को संबोधित अपने पेटीशन में जयसिंह ने कहा है, “सुप्रीम कोर्ट ने देश में मानवाधिकार के न्याय को आगे बढ़ाया है और पर्यावरण की चिंताओं, जेंडर न्याय पर आम लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई की है और यह सुनिश्चित किया है कि लोगों के ये अधिकार सुरक्षित रहें। महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर वकीलों की बहस सुनने या जजों की चिंताओं को जानने के लिए हम सब दिल्ली नहीं आ सकते। तकनीक इस अंतर को पाट सकता है और कोर्ट के अंदर दाखिल हुए बिना भी हम कोर्ट की कार्यवाही को देख और सुन सकते हैं।”

    सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका की तरह ही उन्होंने यहाँ भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को लाइव दिखाने का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि इस लाइव प्रसारण से लोगों में संसद की कार्यवाही के बारे में जानकारी बढ़ी है। राष्ट्रीय महत्त्व के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग सुप्रीम कोर्ट के लिए भी इसी तरह के फायदे लेकर आएगा।”

    जयसिंह ने कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट ने मेरी अर्जी सुन ली तो इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। यह न्यायपालिका में लोगों का आत्मविश्वास बढाएगा। इस देश के लोग खुद वकीलों की दलील सुन पाएंगे और कोर्ट में जताई जाने वाली चिंताओं के बारे में अवगत हो पाएंगे। अगली पीढी के वकीलों और नागरिकों को भी इससे लाभ मिलेगा क्योंकि महत्त्वपूर्ण मामलों के बारे में जानने के लिए उनके पास उस बहस की वीडिओ और ऑडियो रिकॉर्डिंग होगी।”

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोर्ट में और कोर्ट परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का आदेश दिया जा चुका है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों में भी सीसीटीवी लगाए जाने की बात की और कहा कि इस तरह के कार्य को चरणबद्ध तरीके से किया जाए जैसा कि संबंधित हाई कोर्ट उचित समझता है।

    न्यायमूर्ति एके गोएल और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कोर्ट में एक बार कहा था, “कैसी प्राइवेसी? यह कोई प्राइवेसी का मामला नहीं है। हमें यहाँ किसी भी तरह की प्राइवेसी नहीं चाहिए। जजों को कोर्ट की कार्यवाही में प्राइवेसी नहीं चाहिए। हम सब लोग आपके सामने बैठे हैं।”

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