राष्ट्रीय महत्त्व के मामलों की सुनवाई को लाइव दिखाने और उनकी वीडिओ रिकॉर्डिंग के लिए वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

19 Jan 2018 6:36 AM GMT

  • राष्ट्रीय महत्त्व के मामलों की सुनवाई को लाइव दिखाने और उनकी वीडिओ रिकॉर्डिंग के लिए वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका [याचिका पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर राष्ट्रीय महत्त्व के मामलों को लाइव दिखाने और उसकी विडियो रिकॉर्डिंग करने की मांग की है।

    अपनी याचिका में जयसिंह ने कहा है कि इस तरह के मामलों को लाइव दिखाने से कोर्ट तक लोगों की पहुँच बढ़ेगी और मामले के बारे में गलत रिपोर्टिंग की आशंका कम हो जाएगी। याचिका में हालांकि कहा गया है कि कोर्ट चाहे तो इस तरह के वीडियोग्राफी पर प्रतिबन्ध लगा सकता है अगर पारिवारिक क़ानून और आपराधिक क़ानून को देखते हुए निजता के प्रतिकारी हित की बात आड़े आती है।

    जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग मौलिक अधिकार है जिसकी गारंटी अनुच्छेद 19(1) में दी गई है। “...हमारा संवैधानिक तानाबाना ऐसा है कि हम इस सिद्धांत को स्वीकार करते हैं कि न्याय न के केवल किया जाना चाहिए बल्कि यह भी लगना चाहिए कि न्याय हो रहा है। इस तरह यह जरूरी हो जाता है कि जो व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से प्रभावित हो सकता है वह लाइव स्ट्रीमिंग और वीडिओ रिकॉर्डिंग तक अपनी पहुँच बना सके। याचिकाकर्ता सहित किसी भी नागरिक को अनुच्छेद 19(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से सूचना प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।”

    जयसिंह ने ऐसे कुछ फैसलों का उदाहरण भी दिया जिसको उन्होंने राष्ट्रीय महत्त्व का बताया। इन मामलों में आधार की संवैधानिकता को चुनौती देने का मामला, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला और पारसी महिलाओं की धार्मिक पहचान को बदलने का मामला शामिल है। इसके अलावा समलैंगिकता को अपराध बताने के मामले को भी उन्होंने इसी श्रेणी में रखा।

    जयसिंह ने इसके बाद संसद के दोनों सदनों में सदन की कार्यवाही के सीधा प्रसारण का संदर्भ दिया। उन्होंने कहा, “संसद में रिकॉर्डिंग, प्रसारण और वेबकास्टिंग को सफलतापूर्वक आजमाने के बाद अब यह सुप्रीम कोर्ट में भी लागू होना चाहिए। विशेषकर ऐसे मामले में जो आम हित के हैं और जो पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और न्याय प्रशासन में उत्तरदायित्व को बढ़ावा देगा और न्यायपालिका के प्रति आम लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।”

    जयसिंह ने कहा है कि “खुला न्याय” के सिद्धांत को आगे बढाने के क्रम में दुनिया भर में कार्यवाहियों की ऑडियो-वीडिओ रिकॉर्डिंग को तरजीह दिया जा रहा है और बाद में उसे कई तरह के प्लेटफॉर्म्स के माध्यमों से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।

    जयसिंह ने यह सुझाव दिया है कि संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्त्व के ऐसे मामलों की पहचान के लिए जो कि आम लोगों को प्रभावित करने वाला है या भारी संख्या में आम लोगों को प्रभावित कर सकता है, एक दिशानिर्देश तय किया जाए ताकि इसके आधार पर कार्यवाही को लाइव स्ट्रीमिंग के लिए उपयुक्त मामलों की पहचान की जा सके। इस तरह की व्यवस्था होने तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह कार्यवाहियों की रिकॉर्डिंग की अनुमति दे और उसको अपने खुद के यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर दे।

    यह याद रखने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष मार्च में हर राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों के कम से कम दो जिलों में कोर्ट के अंदर भी और कोर्ट परिसर के कुछ महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था।

    इसके बाद अगस्त में उसने निचली अदालतों में भी सीसीटीवी लगाने को वांछनीय बताया था। कोर्ट ने बाद में कहा था कि सीसीटीवी को चरणबद्ध तरीके से लगाया जाना चाहिए और यह तय करने का अधिकार संबंधित हाई कोर्ट पर छोड़ दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एक महीने के अंदर सीसीटीवी लगाने की योजना को अंतिम रूप दिया जाए और इस बारे में दो महीने के अंदर सुप्रीम कोर्ट को बताया जाए। कोर्ट ने कहा था कि ऑडियो रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है।

    कोर्ट ने नवंबर में एक सुनवाई के दौरान सीसीटीवी कैमरे को शीघ्र लगाने की बात भी कही थी और यह भी कहा था कि ऐसा करना जनहित में होगा। न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने यह टिप्पणी भी की थी कि “कैसी प्राइवेसी? यह कोई प्राइवेसी का मामला नहीं है। जजों को कोर्ट की कार्यवाही में प्राइवेसी की जरूरत नहीं है। यहाँ पर कुछ भी प्राइवेट नहीं हो रहा है। हम सब लोग आपके सामने बैठे हैं।”

    इस तरह जयसिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्त्व वाले मामलों की कार्यवाही जिसका आम लोगों पर असर होगा या जो भारी संख्या में आम लोगों को प्रभावित कर सकता है, की इस तरह लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति देने की मांग की कि यह आम लोगों को देखने के लिए आसानी से उपलब्ध हो।


     
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