सीबीआई जज लोया की मौत का मामला : जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बावजूद SC बेंच में बदलाव नहीं

LiveLaw News Network

16 Jan 2018 4:16 AM GMT

  • सीबीआई जज लोया की मौत का मामला : जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बावजूद SC बेंच में बदलाव नहीं

    शुक्रवार को चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल उठाने के बावजूद सुप्रीम  कोर्ट में सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र की मांग वाली याचिका पर बेंच को बदला नहीं गया है।मंगलवार को जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर की बेंच मामले की सुनवाई करेगी।

    गौरतलब है कि जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसफ ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया था कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा केसों को बेंचों को देने के मामले में परंपराओं का पालन नहीं कर रहे हैं। वो नियमों से परे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई अपनी पंसदीदा बेंच को देते रहे हैं।

    जजों ने इस संबंध में दो महीने पहले एक चिट्ठी भी लिखी थी। जजों ने कहा था कि लोया को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को ही चीफ जस्टिस से मिले भी थे लेकिन उन्हें समझाने में नाकाम रहे।

    गौरतलब है कि शुक्रवार को ही जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस एम शांतनागौदर की बेंच ने सीबीआई स्पेशल जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने की मांग वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार के वकील से सोमवार को सरकार से निर्देश लाने को कहा था।

    सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन केस के ट्रायल को देख रहे सीबीआई जज बृजगोपाल हरिकिशन लोया की 2014 में हुई मौत की जांच को लेकर दाखिल दो याचिकाओं पर सुनवाई की। इनमें से एक महाराष्ट्र के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोने की याचिका है जबकि दूसरी कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला की।

    दरअसल 48 साल के जज लोया, जो सीबीआई केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें बीजेपी चीफ अमित शाह आरोपी थे, लेकिन बाद में आरोपमुक्त हो गए, की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पडने से मौत हो गई थी। उस वक्त वो शादी समारोह में हिस्सा लेने गए थे।

    याचिकाओं में कारवां मैगजीन की उन दो रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसमें लोया के परिवार के सदस्यों द्वारा लोया की मौत के दौरान हैलात पर संदेह जताया गया है।

    सुप्रीम कोर्ट के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट में भी इसी तरह की दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें से एक बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन और दूसरी सूर्यकांत लोजे द्वारा दाखिल की गई है।

    हालांकि सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वो इस मामले की सुनवाई ना करे क्योंकि पहले से ही मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करता है तो हाईकोर्ट में मामला प्रभावित हो सकता है।

    जवाब में बेंच ने टिप्पणी की, "हमने आपको सुन लिया है। अब हम वर्तमान याचिकाकर्ताओं को सुनते हैं। जब एक याचिका दाखिल की गई थी,

    तो उसकी सुनवाई किए जाने का एक मौका दिया जाना चाहिए। हम देखते हैं कि क्या होता है।"

     वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह  ने याचिका पर सुनवाई न करने की दवे की प्रार्थना के समर्थन में कहा,  "बॉम्बे हाईकोर्ट में पहले से ही ये मामला 23 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है"।

    बेंच ने कहा, "हम उस मामले के विवरणों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे लेकिन हमें वर्तमान याचिकाओं को सुनने की जरूरत है।यह एक बहुत ही गंभीर मामला है।”

     इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को बताते हुए कहा

    , " कहानी के अनुसार, दिल के दौरे के कारण लोया की मौत हुई थी लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट कुछ और कहती है।”

    इस मौके पर बेंच ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पेश करे और मामले की सुनवाई  सोमवार को होगी। बेंच ने ये भी कहा,  "आइए सोमवार को सुनवाई शुरू करें। अगर हम इसे उपयुक्त समझेंगे तो हम मंगलवार, बुधवार, गुरुवार या किसी भी आगामी दिनों में इस मामले हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय ले सकते हैं।”

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