सोहराबुद्दीन ट्रायल के जज लोया की मौत का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शुक्रवार को सुनवाई

LiveLaw News Network

11 Jan 2018 6:15 AM GMT

  • सोहराबुद्दीन ट्रायल के जज लोया की मौत का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शुक्रवार को सुनवाई

    सोहराबुद्दीन ट्रायल के जज BH लोया की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है।

    गुरुवार को महाराष्ट्र के पत्रकार बंधूराज संभाजी लोने की याचिका पर वकील अनिता शिनॉय ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से जल्द सुनवाई की मांग की। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा।

    इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार के 470 सदस्यों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर सोहराबुद्दीन ट्रायल के पूर्व जज बी एच लोया की मौत की जांच की मांग की थी।  ये पत्र सुप्रीम कोर्ट के जजों और बॉम्बे हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस को भी भेजा गया है। इन वकीलों ने लोया की संदिग्ध मौत की जांच CBI या स्पेशन इंवेस्टीगेशन टीम ( SIT) से कराने की मांग की है।

    अभी तक इस मामले को लेकर एक आपराधिक रिट याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में दाखिल की गई है जबकि पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने CJI को पत्र लिखकर मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। रिटायर्ड जस्टिस बीएच मार्लापल्ली ने जज लोया की मौत की जांच SIT से कराने की मांग की है।

    पत्र में कहा गया है, “यदि हाई प्रोफाइल मामलों का फैसला करने वाले जजों का जीवन सुरक्षित नहीं है और यह आरोप लगाया जाता है कि वे दबाव और प्रभाव में काम करते हैं, तो न्याय स्वयं सुरक्षित नहीं है। ये आरोप न्याय पर विश्वास को लेकर कानून जगत व अन्य के लिए बडा झटका है इससे पहले कि वे अपने दावे की मांग करते हैं। "

    गौरतलब है कि 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात पुलिस ने हैदराबाद से अगवा किया। आरोप लगाया गया कि दोनों को फर्जी मुठभेड में मार डाला गया। शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा मार डाला गया। उसे सोहराबुद्दीन मुठभेड का गवाह माना जा रहा था।

    2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और शेख के केस को एक साथ जोड दिया।

    शुरुआत में जज जेटी उत्पत केस की सुनवाई कर रहे थे लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की और नवंबर 2014 में उनकी मौत हो गई।

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