आधार कार्ड नहीं होने के कारण सूचना नहीं देना आरटीआई अधिनियम का गंभीर उल्लंघन : सीआईसी [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

3 Jan 2018 5:28 AM GMT

  • आधार कार्ड नहीं होने के कारण सूचना नहीं देना आरटीआई अधिनियम का गंभीर उल्लंघन : सीआईसी [आर्डर पढ़े]

    केंद्रीय सूचना आयोग ने अभी हाल ही में कहा कि आधार नहीं होने के कारण कोई सूचना नहीं देना सूचना के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है जिसकी गारंटी आरटीआई अधिनियम में दी गई है। इसके साथ ही यह सूचना मांगने वाले व्यक्ति को परेशान करना भी है।

    मामला क्या है

    सरकारी नियंत्रणवाली हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (हडको) का यह कहना है कि वह अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उपहार और स्मृतिचिन्हों (मेमेंटोज) पर जो लाखों रुपए खर्च करता है उसका हिसाब नहीं रखता। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक इस मामले की जांच करे और बताए कि क्या इस तरह की अस्वस्थ परिपाटी की अनुमति है। सीआईसी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे कोई सरकारी संस्था पैसे खर्च कर रही है और उसका हिसाब नहीं रख रही है।

    सीआईसी प्रो. श्रीधर आचार्युलू ने सुझाव दिया कि “भारत सरकार का शहरी विकास मंत्रालय हडको के खर्चे की जांच करे और उसमें अपने खर्चे का हिसाब रखने और उसमें उत्तरदायित्वों का पालन करने का अभ्यास डाले।”

    सीआईसी ने हडको के सीएमडी को निर्देश दिया है कि वह 2822897 रुपए के खर्च का वाऊचर, फाइल नोट्स, उन व्यक्तियों की सूची जिनको उपहार दिए गए हैं और जिस व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए ये खर्च किए गए उसमें एक महीने के अंदर क्या तबदीली आई इसका ब्योरा पेश करने को कहा है।

    सीआईसी का यह आदेश एक शिकायत और एक अपील पर आई है जो आरटीआई आवेदनकर्ता विश्वास भाम्बुरकर ने 2016 में दायर की थी। उन्होंने अपने आवेदन में हडको के सीएमडी रवि कांत द्वारा हडको के खजाने से उपहारों जैसे कीमती पेन, आईफोन आदि पर वित्त वर्ष 2013-14 से 2015-16 के दौरान कितनी राशि खर्च की गई; उपहार पाने वालों के नाम, सीएमडी के सरकारी आवास और एमडी के एशियाड गाँव स्थित निवास के रेनोवेशन पर हडको के खजाने से कितनी राशि खर्च की गई आदि का ब्योरा माँगा था।

    याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि मुकुल जैन ने कहा, “हडको में उपहार देने और लेने के नाम पर पांच करोड़ रुपए का घपला हुआ है और इसमें मंत्रालय के वरिष्ठ लोग शामिल हैं। यह नहीं पता है कि किसने यह उपहार माँगा था और किसको यह मिला।” उन्होंने कहा कि आईफोन, मों ब्लों पेन और आईपैड जैसे उपहार हडको के एमडी और आईएएस अधिकारी रवि कांत ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को बांटे हैं।

    हडको ने आरटीआई आवेदक से अपनी नागरिकता साबित करने को कहा

    सीपीआईओ डीके गुप्ता ने भाम्बुरकर को एक पत्र लिखा, 5 अगस्त 2016 को। इस पत्र उन्होंने उनसे पहचानपत्र की मांग की और पता के प्रूफ के लिए आधार कार्ड की कॉपी मांगी और नागरिकता के प्रमाण में वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट माँगा।

    आवेदक ने सीआईसी से शिकायत की और हडको को पहला अपील भेजा जिसमें बिना प्रूफ पर जोर डाले सूचना उपलब्ध कराने को कहा। पर प्रथम अपीली अधिकारी अखिलेश कुमार ने आवेदक की नागरिकता का प्रमाणपत्र प्राप्त करने की बात की पुष्टि की।

    जब सीआईसी ने नोटिस भेजा तो गुप्ता ने कहा कि हडको को इससे पहले इस तरह के किसी शिकायत की मंशा से प्रेरित आरटीआई आवेदन नहीं मिला था जिसमें आवेदक उस पते पर नहीं रह रहा था जिस पते का उसने आवेदन में जिक्र किया था और सीपीआइओ को यह सुनिश्चित करना था कि आवेदक असली है कि नहीं।

    प्रो. अचार्युलू ने कहा, “आरटीआई अधिनियम की धारा 4(1) अधीन अधिकाँश सूचना स्वैच्छिक रूप से दे दी जानी चाहिए थी...लेकिन दो सीपीआईओ और एक प्रथम अपीली अधिकारी ने इस तरह बर्ताव किया जैसे वो सब मिलकर एक टीम के रूप में सूचना नहीं देना चाहते और गैरकानूनी आधार पर यह देने से इनकार कर रहे हैं”। इसके बाद उसने सीपीआइओ पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

    क्या कोई सरकारी संस्था ऐसा कर सकती है कि पैसा खर्च करे और उसका रिकॉर्ड नहीं रखे?

    सीआईसी ने हडको के इस बयान पर भी गौर किया कि उसने 28,22,897 रुपए (12,00,703 रुपए 2014-15 में और 16,11,194 रुपए 2015-16 में) मेमेंटोज, सुवेनीर आदि पर खर्च किए लेकिन इन खर्चों का उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।

    20 अप्रैल 2017 की अपनी रिपोर्ट में हडको ने कहा, “उपहार/मेमेंटोज/सुवेनीर आदि व्यवसाय संवर्धन और पीआर की सामान्य कॉर्पोरेट गतिविधियाँ हैं और ये मौकों पर बांटे जाते हैं और इस बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।”

    इस पर सीआईसी ने कहा, “इससे जो सवाल उठते हैं वो इस तरह से हैं : किस तरह का कॉर्पोरेट बिजनेस हडको कर रहा है? अगर उन्होंने इसका प्रयोग किया है तो कैसे किया है? किसको उपहार बांटे गए हैं? जहाँ तक व्यवसाय को बढाने के लिए खर्च करने की बात है तो कितना बिजनेस बढ़ा और किस तरह के बिजनेस को उन्होंने प्रोमोट किया है? यह एक हाउसिंग और शहरी विकास निकाय है। यह कोई रियल एस्टेट बिजनेस डीलर्स या डेवलपर्स नहीं है। उन्होंने किसको गिफ्ट दिया और किस तरह के बिजनेस को उन्होंने प्रोमोट किया?


     
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