आपस में लड़ रहे एक परिवार को एक जुट करने की कोशिश कर रही है न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की बेंच

LiveLaw News Network

24 Dec 2017 1:23 PM GMT

  • आपस में लड़ रहे एक परिवार को एक जुट करने की कोशिश कर रही है न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की बेंच

    फैमिली कोर्ट के उद्देश्यों में एक मुख्य उद्देश्य है “सुलह कराना और शादी एवं पारिवारिक मामलों से जुड़े विवादों को जल्द सुलझाना।” यद्यपि फैमिली कोर्ट के कई जज यह कार्य खुद ही करते हैं, पर न्यायमूर्ति जोसफ कुरियन जो कर रहे हैं उसका अनुकरण सबको करना चाहिए।

    न्यायमूर्ति कुरियन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक विशेष अनुमति याचिका पर जो फैसला दिया वो इस तरह से था : “सभी पक्ष इस कोर्ट में उपस्थित थे। यह जानकर कि मामले को खुद सुलझाने के लिए वे सब के सब तैयार हैं, हमने उनके साथ एक विशेष बैठक करने का आग्रह किया और यह भी आग्रह किया कि इस दौरान उनके साथ उनकी मदद करने के लिए कोई मौजूद नहीं रहे। हमें बताया गया कि वे सब कुछ घंटे साथ रहे। हमें यह भी कहा गया कि वे लोग आज दिल्ली में ही टिके हैं। हमने परिवार के चार सदस्यों को एक साथ रहने और शेष समय साथ-साथ बिताने को कहा। उन लोगों ने हमें बताया कि वे एक कमरे में रह सकते हैं। तीन बच्चों ने भी हमें यह बताया कि वे अपनी माँओं की मदद कर सकते हैं और किसी और की मदद की जरूरत उन्हें नहीं है।”

    आश्चर्य की बात यह है कि यह हैदराबाद हाई कोर्ट द्वारा एक कंपनी की अपील में सुनाए गए फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका है।

    पर हाई कोर्ट के आदेश को पढने के बाद पता चलता है कि इस कंपनी विवाद की शुरुआत एक विधवा और उसकी तीन बेटियों के बीच उत्पन्न पारिवारिक विवाद से हुई। पर हाई कोर्ट ने इस मामले का फैसला कंपनी क़ानून के अनुरूप किया।

    न्यायमूर्ति कुरियन ने यह जानने के बाद कि इस मामले की जड़ में पारिवारिक विवाद है, परिवार के सदस्यों को आपस में बैठने और बातचीत करने को कहा। यह जानना भी जरूरी है कि माँ और उसकी तीन बेटियों की पैरवी बहुत ही ख्यातिनाम वकीलों ने की जिसमें मुकुल रोहतगी, एएम सिंघवी, श्याम दीवान, पी चिदंबरम, वी गिरी और बी आदिनारायण राव शामिल थे।

    अगले दिन, मामले की फिर सुनवाई हुई ऐसा लगा कि न्यायमूर्ति कुरियन के जादू ने काम किया। माँ ने कोर्ट से कहा उनको लगता है कि अगर उन्हें कुछ और समय मिले तो इस परिवार के फिर से एक होने का सपना पूरा हो सकता है। कोर्ट से यह भी कहा गया कि माँ, तीनों बेटियाँ और उनके दो बच्चे 10 जनवरी तक एक ही घर में रहेंगे।

    बेंच ने कहा, “कोर्ट अब दोनों पक्षों से यह उम्मीद करता है कि जो सौहार्दपूर्ण वातावरण बना है उसको वे आगे भी बनाए रखें और बिना किसी अन्य व्यक्ति की मदद के वे अपना विवाद सुलझाने की कोशिश करें। बाहरी ताकतों को वे दूर रखें क्योंकि ये ताकतें यह नहीं चाहतीं कि परिवार दुबारा एक हो जाए।”

    कोर्ट ने दोनों पक्षों को यह भी निर्देश दिया कि वे एक दूसरे के खिलाफ बिना कोर्ट के निर्देश के लंबित मामलों को आगे न बढाएं और एक दूसरे के खिलाफ किसी तरह का ताजा आपराधिक या दीवानी मामला  दायर न करें।

    इससे पहले न्यायमूर्ति कुरियन ने एक अन्य अस्वाभाविक फैसले में एक पत्नी से अपने पति के साथ कुछ सप्ताह एक साथ रहने को कहा था और यह भी कहा था कि  बिना कोर्ट की अनुमति के वह उसको न छोड़े।

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