पेशेवर नैतिकता : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार उल्लंघन करने वकीलों पर नियंत्रण मैकेनिज्म बनाने पर विचार करे [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

6 Dec 2017 4:37 AM GMT

  • पेशेवर नैतिकता : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार उल्लंघन करने वकीलों पर नियंत्रण मैकेनिज्म बनाने पर विचार करे [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने बी सुनीता बनाम तेलंगाना राज्य मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए सरकार और प्रशासन को कानूनी पेशे में प्रभावी नियंत्रण मैकेनिज्म के लिए विधायी बदलाव लाने पर विचार करने को कहा है।कोर्ट ने कहा है कि ये भी सुनिश्चित किया जाए कि सभी को कानूनी सेवा मिले।

    जस्टिस ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित ने ये टिप्पणी एक वकील द्वारा अपने मुव्वकिल पर राशि के बकाया होने पर दाखिल शिकायत को रद्द करते हुए की और कहा कि वकील द्वारा किया गया दावा पेशेवर दुराचरण है। उसके द्वारा दाखिल की गई शिकायत कानून का दुरुपयोग है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

    अपील की सुनवाई पूरी होने के बाद वकील की ओर से शिकायत वापस लेने की गुहार लगाई गई लेकिन बेंच ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा कि उन्होंने गंभीर पेशेवर दुराचरण किया है। उसे इसके विपरीत परिणाम से बचने की इजाजत नहीं दी जा सकती जो पेशेवर दुराचरण के लिए उसके सामने आएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया कि पेशेवर दुराचरण का मामला उचित फोरम के लिए छोडा जाता है।

    वकील के इस कार्य से लगता है कि बेंच ने कानूनी पेशे में गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करने पर विवश किया। बेंच ने कहा कि इस पेशे की अहमियत न्याय में प्रवेश दिलाने और नागरिकों को उनके मौलिक व अन्य अधिकार दिलाने की भूमिका की वजह से है। क्या पेशेवर आचार बनाए रखे बिना न्याय दिलाया जा सकता है ?

    बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक हद तक व्यावसायिकरण वादी के शोषण और दुर्व्यवहार अदालत को धौंस देने, कानूनी पेशे से जुडे कुछ सदस्यों द्वारा  वादी व कोर्ट से पेशेवर दायित्वों में उल्लंघन वादी के जल्द और सस्ता न्याय पाने के अधिकार को प्रभावित करता है और इसे देखने की जरूरत है।

    कोर्ट ने कानून आयोग की 31 वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि संसद की डयूटी है कि वो वकीलों द्वारा दी गई सेवा की फीस निर्धारित करे। कोर्ट ने कहा कि हालांकि कानून आयोग ने ये रिपोर्ट 1988 में दाखिल की थी, लेकिन फीस को नियमित करने के लिए या जनसेवा सेक्टर के लिए जरूरतमंद वादियों के लिए बिना फीस या मामूली फीस को लेकर कोई कानून नहीं बनाया गया।

    पेशेवर नैतिकताके उल्लंघन करने के वालों के लिए मैकेनिज्म को भी लगता है सुदृढ नहीं किया गया।


     
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