सडक दुर्घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिए अहम दिशा निर्देश [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
1 Dec 2017 10:30 AM IST
सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक और बडा कदम उठाया है।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कोयम्बटूर स्थित गंगा अस्पताल के चेयरमैन और आर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डॉ एस राजशीकरन की याचिका पर रोड सेफ्टी को लेकर राज्य सरकारों व केंद्रशासित प्रदेशों के लिए अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले भी कोर्ट ने जस्टिस के एस राधाकृष्णन की कमेटी का गठन किया था जो 12 रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। गौरव अग्रवाल को एमिक्स क्यूरी भी बनाया गया था। कोर्ट ने कहा है कि हर साल एक लाख से ज्यादा लोगों की सडक दुर्घटना में मौत हो जाती है यानी हर तीन मिनट में एक व्यक्ति जान गवां देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देशों में कहा है कि :
- जिन राज्यों ने अब तक सड़क सुरक्षा नीति नहीं बनाई है, वे सभी 31 जनवरी, 2018 तक ये पॉलिसी बनाएं।
- सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों से यह आशा की जाती है कि वे गंभीरता और ईमानदारी से इस पॉलिसी का अनुपालन करेंगे। दिल्ली, असम, त्रिपुरा, नागालैंड आदि ने अब तक नीति नहीं बनाई है।
- सभी केंद्रशासित प्रदेश 31 जनवरी, 2018 तक सड़क सुरक्षा परिषद का गठन करें। राज्यों में हो चुका है परिषद का गठन। समय-समय पर परिषद द्वारा कानून का पुन:परीक्षण किया जाएगा और उचित कदम उठाया जाएगा।
- सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेश 31 जनवरी, 2018 तक लीड एजेंसी बनाएं। लीड एजेंसी राज्य सड़क सुरक्षा परिषद केसचिवालय केतौर पर काम करेगी। एजेंसी लाइसेंस, वाहनों के पंजीकरण , सड़क सुरक्षा, वाहनों के फीचर, इमीशन नॉर्म्स समेत अन्य मसलों पर परिषद से समन्वय बना कर काम करेगी।
- सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेश 31 मार्च, 2018 तक सड़क सुरक्षा फंड बनाएं। यातायात नियमों का उल्लंघन से प्राप्त जुर्माने की राशि से यह फंड तैयार किया जाएगा।
- सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेश 31 मार्च, 2018 तक सड़क सुरक्षा एक्शन प्लान तैयार करें। इस मसले पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का रवैया उदासीन है।
- सभी राज्य 31 जनवरी 2018 तक जिला राज्य सुरक्षा कमेटी का गठन करें।
- दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह खराब सड़कें और अनुचित डिजाइन होना है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सड़कों पर खतरनाक स्पॉट की पहचान करना और सड़कों के डिजाइन को दुरूस्त करने के लिए उचित कदम उठाएं।
- सड़क सुरक्षा को लेकर ऑडिट जरूरी, योग्य ऑडिटर से कराया जाए ऑडिट
- पांच किलोमीटर या इससे ज्यादा की नई सड़क परियोजनाओं में डिजाइन पर ध्यान रखा जाए
- लेन ड्राइविंग संबंधी अधिसूचना का पालन करें राज्य व केंद्रशासित प्रदेश
- राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्पेशल पेट्रोल फोर्स का हो गठन, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर रखी जाए नजर, कैमरे समेत अन्य चीजों का हो इस्तेमाल
- राज्य बोर्ड एक अप्रैल, 2018 से सड़क सुरक्षा शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करे
- हर जिले में कम से कम एक ट्रॉमा सेंटर हो।
- यूनिवर्सल एक्सीडेंट हेल्पलाइन नंबर हो
- स्थायी सड़क सुरक्षा सेल हो, 31 जनवरी 2018तक गठन किया जाए
- सभी सावर्जनिक वाहनों में जीपीएस लगाने का काम जल्द हो
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