सुप्रीम कोर्ट ने NIA और पिता के विरोध के बावजूद कहा, 27 नवंबर को हदिया को कोर्ट में पेश किया जाए

LiveLaw News Network

30 Oct 2017 10:41 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने NIA और पिता के विरोध के बावजूद कहा, 27 नवंबर को हदिया को कोर्ट में पेश किया जाए

    केरल के हदिया केस में अब सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को हदिया उर्फ अखिला को कोर्ट में पेश करने को कहा है।

    सोमवार को चली सुनवाई में NIA और हदिया के पिता के विरोध के बावजूद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने ये आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि ये इन कैमरा कार्रवाई नहीं होगी और हदिया की बात खुली अदालत में सुनी जाएगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने NIA की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह की दलीलों पर भी सवाल उठाए।

    कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके मुताबिक एक बालिग को उसकी रजामंदी के बिना किसी की कस्टडी में रखा जाए। सवाल ये भी है कि हाईकोर्ट ने हैबियस कारपस की याचिका पर शादी को कैसे शून्य करार दिया।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने NIA की उस दलील को भी नहीं माना जिसमें कहा गया था कि लडकी अपने होशोंहवास में नहीं है और केरल में संगठनों द्वारा बालिग लोगों का मनोवैज्ञानिक अपहरण किया जा रहा है और उनका दिमाग वश में किया जा रहा है।

    उन्होंने ये भी कहा कि शफीन पर दो आपराधिक मामले दर्ज हैं और हदिया का मामला अकेला नहीं है बल्कि 89 और ऐसे मामलों की जांच की जा रही है। इनमें से 9 मामले एक ही संगठन से जुडे हैं।

    लेकिन चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून है जिसके तहत कोई बालिग लडकी किसी अपराधी से प्यार या शादी नहीं कर सकती।

    दरअसल हदिया के पिता अशोकन के एम में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में आरोप लगाया है कि हदिया का कथित पति शफीन जहां कट्टर दिमाग का है और उसके आतंकवादी संगठन से रिश्ते हैं।

    अर्जी में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की इजाजत मांगी है। अशोकन ने आरोप लगाया है कि शफीन जहां मानसी बुराक का दोस्त है जिसके खिलाफ आतंकवादियों से रिश्ते होने के मामले में नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी ( NIA) ने चार्जशीट दाखिल की है। बहुत सारे फेसबुक पोस्ट इसका सबूत हैं कि मानसी बुराक की कट्टर सोच पर याचिकाकर्ता ने खुशी जताई है। इसके अलावा वो लगातार फेसबुक पर बुराक से बातचीत करता था।

    अपनी बेटी से दुर्व्यवहार के दावों से इंकार करते हुए अशोकन ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपे आर्टिकल का हवाला दिया है जिसमें राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य के मोहन कुमार ने कहा है कि पुलिस को उनके घर में मानवाधिकार के उल्लंघन का कोई मामला नहीं मिला। ये बयान पूरी जांच के बाद दिया गया है।

    उन्होंने आरोप लगाया है कि पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने इस याचिका के लिए 80 लाख रुपये इकट्ठा किए हैं।

    गौरतलब है कि अशोकन ने पहले भी अर्जी में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया/ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ( PFI/ SDPI) पर आरोप लगाते हुए कहा था कि संगठन की महिला विंग ने अखिला को पूरी तरह नियंत्रण में कर लिया है। इस संगठन का लिंक आतंकी संगठनों से है और ये गैरकानूनी व आपराधिक गतिविधियों में शामिल है।

    ये मामला हदिया के हिंदू से मुस्लिम धर्म में परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह का मामला है। इसी साल 25 मई को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस निकाह को शून्य करार दे दिया था और युवती को उसके हिंदू अभिभावकों की अभिरक्षा में देने का आदेश दिया था। इस दौरा जस्टिस सुरेंद्र मोहन और जस्टिस अब्राहम मैथ्यू ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि 24 साल की युवती कमजोर और जल्द चपेट में आने वाली होती है और उसका कई तरीके से शोषण किया जा सकता है। चूंकि शादी उसके जीवन का सबसे अहम फैसला होता है इसलिए वो सिर्फ अभिभावकों की सक्रिय संलिप्ता से ही लिया जा सकता है।

    वहीं हदिया के पति ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि हाईकोर्ट ने बिना किसी कानूनी आधार के निकाह को शून्य करार दिया है। याचिका में कहा गया है कि ये फैसला आजाद देश की महिलाओं का असम्मान करता है क्योंकि इसने महिलाओं को अपने बारे में सोचविचार करने के अधिकार का छीन लिया है और उन्हें कमजोर व खुद के बारे में सोचविचार करने में असमर्थ घोषित कर दिया है। ये आदेश महिलाओं के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार और NIA को इस मामले से जुडे दस्तावेज दाखिल करने को कहा था और हदिया के पिता अशोकन से ये सबूत देने को कहा था कि कट्टरता फैलाने के बाद उसका धर्म परिवर्तन किया गया था।

    वहीं याचिकाकर्ता शफीन जहान  की ओर से इसका विरोध किया गया था और कहा गया कि कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।

    लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले NIA की जांच में कुछ जानकारी मिले तो फिर आगे सुनवाई करेंगे।

    दस अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस को हदिया केस से जुडे दस्तावेज और जानकारी नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA ) से साझा करने के निर्देश दिए थे ताकि एजेंसी ये छानबीन कर सके कि हदिया केस एक अलग केस है या ये इसके पीछे कोई बडी साजिश है।

    अपनी अर्जी में एजेंसी की ओर से कहा गया कि केरल हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच केरल पुलिस को सौंपी थी। हाईकोर्ट ने NIA को जांच के लिए नहीं कहा था। याचिका के मुताबिक केरल पुलिस ने इस संबंध में अपराध संख्या 21/2016 में 57 केरल पुलिस एक्ट के अलावा IPC की धारा 153 A, 295A और 107 के तहत मामला दर्ज किया है और जांच संबंधी कई स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की हैं। NIA इस मामले की जांच कानून के मुताबिक कर सकता है लेकिन इसके लिए कोर्ट के आदेश जारी करने होंगे। वैसे भी NIA हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केसों की जांच करता है।

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