दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल : दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द संवैधानिक पीठ के गठन की गुहार लगाई

LiveLaw News Network

5 Sep 2017 6:33 AM GMT

  • दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल : दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द संवैधानिक पीठ के गठन की गुहार लगाई

    दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लडाई का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया। दिल्ली सरकार ने इस मामले में जल्द पांच जजों की संविधान पीठ गठित करने का आग्रह किया है जबकि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है कि कावेरी विवाद पर चल रही सुनवाई पूरी होने पर पीठ का गठन किया जाएगा।

    मंगलवार को दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से आग्रह किया कि इस मामले की सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए। दिल्ली सरकार के सारे काम अटके हुए हैं। इस दौरान केंद्र की ओर से SG रंजीत कुमार ने कहा कि मामले की सुनवाई दीवाली के बाद हो। चीफ जस्टिस ने कहा कि कावेरी विवाद पर सुनवाई पूरी होगी तो इस मामले के लिए तारीख तय की जाएगी।

    दरअसल 15 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सिकरी की अगवाई वाली दो जजों की बेंच ने मामले को संवैधानिक पीठ को भेज दिया था। बेंच ने कहा था कि इस मामले से अहम संवैधानिक मुद्दे  जुडे हैं इसलिए मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ ही करेगी।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पीठ किन मुद्दों पर सुनवाई करे, ये वही तय करेगी। दिल्ली सरकार या केंद्र मामले में CJI के पास जाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं।

    गौरतलब है कि चार अगस्त 2016 को दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच अधिकारों की लड़ाई पर अपना फैसला सुनाया था जिसमें अरविंद केजरीवाल सरकार को झटका लगा था। कोर्ट के मुताबिक, एलजी ही दिल्ली के प्रशासक हैं और दिल्ली सरकार उनकी मर्जी के बिना कानून नहीं बना सकती। 239 AA दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का स्पेशल स्टेटस देता है।

    हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया एलजी अरविंद केजरीवाल सरकार की सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं। केंद्र के नोटिफिकेशन सही हैं और अरविंद केजरीवाल सरकार के कमेटी बनाने संबंधी फैसले अवैध हैं।
    हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया था दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। एलजी अपना स्वतंत्र व्यू ले सकते हैं।  साथ ही दिल्ली सरकार को कोई भी नोटिफिकेशन जारी करने से पहले LG की मंजूरी लेनी होगी। ACB केंद्रीय कर्मचारियों पर कारवाई नहीं कर सकती। दिल्ली सरकार के दोनों मामलों में कमेटी बनाने के फैसले अवैध हैं। दरअसल दोनों के बीच कई मुद्दों पर अधिकारों को लेकर टकराव होता रहा है और 24 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
    दिल्ली हाईकोर्ट में 10 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 31 अगस्त 2016 और  दो सितंबर 2016 के बीच छह याचिकाएं दाखिल की थीं।

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