बॉम्बे हाईकोर्ट ने बकरा-ईद पर दुकानों और बाजारों में कुर्बानी के लिए BMC की अनुमति पर रोक लगाने से किया इनकार

Shahadat

14 Jun 2024 10:31 AM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने बकरा-ईद पर दुकानों और बाजारों में कुर्बानी के लिए BMC की अनुमति पर रोक लगाने से किया इनकार

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा जारी सर्कुलर के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार किया। उक्त सर्कुलर में 17 जून, 2024 को बकरा-ईद के दौरान 67 निजी मांस की दुकानों और 47 नगरपालिका बाजारों में कुर्बानी की अनुमति दी गई थी।

    जस्टिस एमएस सोनक और जस्टिस कमल खता की खंडपीठ ने BMC सर्कुलर पर तत्काल रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने मामले का उल्लेख किया। प्रेसीप (तत्काल सुनवाई के लिए लिखित अनुरोध) के माध्यम से तत्काल सुनवाई की मांग की।

    अदालत ने कहा कि प्रेसीप में किसी अंतरिम राहत की मांग नहीं की गई और केवल तत्काल सुनवाई के लिए मामले को प्रसारित करने की मांग की गई। अदालत ने राहत पाने के लिए इस तरीके को उचित नहीं पाया। अदालत ने कहा कि अंतरिम राहत के लिए मौखिक आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता।

    याचिकाकर्ता जीव मैत्री ट्रस्ट ने दलील दी कि BMC सर्कुलर में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया कि इसे किस वैधानिक प्राधिकरण के तहत जारी किया गया, जिससे यह कुर्बानी पर BMC की मौजूदा नीति के साथ विरोधाभासी है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि हवाई अड्डों के पास मांस की दुकानों को अनुमति देना विमान अधिनियम का उल्लंघन है और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ पैदा करता है।

    BMC के सीनियर एडवोकेट मिलिंद साठे ने प्रस्तुत किया कि संबंधित सर्कुलर बकरा-ईद उत्सव के दौरान 17 से 19 जून तक निर्दिष्ट निजी दुकानों और नगरपालिका बाजारों को केवल अस्थायी अनुमति देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बिना किसी कानूनी चुनौती के 72 प्रतिष्ठानों को पहले भी इसी तरह की अनुमति दी गई।

    अदालत ने उल्लेख किया कि किसी भी उल्लंघन के बारे में शिकायत दर्ज करने के लिए सिस्टम 8 जून, 2023 के पिछले हाईकोर्ट के निर्देश के तहत स्थापित किया गया। अदालत ने कहा कि यह सिस्टम अभी भी मौजूद है और किसी भी शिकायत को दूर करने का साधन प्रदान करता है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से अंतिम समय में अदालत में न आने को कहा और कहा कि पिछले वर्षों में भी इसी तरह की अनुमति दी गई।

    जीव मैत्री ट्रस्ट ने सबसे पहले 2018 में याचिका दायर की थी, जिसमें देवनार बूचड़खाने के बाहर पशु वध के लिए BMC की एनओसी को चुनौती दी गई थी। ट्रस्ट ने तर्क दिया कि 29 मई, 2024 के सर्कुलर ने खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसाय का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम सहित केंद्रीय कानूनों का उल्लंघन किया।

    याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि BMC की नीति बस स्टॉप और हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर वध की अनुमति नहीं देती। फिर भी सर्कुलर ने मटन की दुकानों पर इसकी अनुमति दी, जो BMC की नीति में शामिल नहीं हैं।

    साठे ने ऐसी याचिकाओं की दोहराव वाली प्रकृति की ओर इशारा किया, जो अक्सर त्योहारों से कुछ दिन पहले दायर की जाती हैं। उन्होंने दोहराया कि अनुमति केवल सीमित संख्या में निजी दुकानों और नगरपालिका बाजारों को तीन दिनों की छोटी अवधि के लिए दी गई।

    अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने 29 मई, 2024 के BMC सर्कुलर को विशेष रूप से चुनौती देने के लिए याचिका में संशोधन नहीं किया। ऐसे संशोधनों के बिना अंतरिम राहत के लिए दबाव डालना अनुचित है।

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