POCSO Act | यदि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आधारभूत तथ्य साबित करने में विफल रहता है तो अभियुक्त के विरुद्ध दोषसिद्धि का कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट

Update: 2024-07-24 06:37 GMT

POCSO मामले का फैसला करते हुए पटना हाईकोर्ट ने को दोहराया कि अभियोजन पक्ष को POCSO Act की धारा 29 के तहत अभियुक्त के विरुद्ध अपराध करने के अनुमान के बावजूद उचित संदेह से परे अभियुक्त के अपराध को साबित करने से मुक्त नहीं किया जाएगा।

न्यायालय ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि अभियुक्त के विरुद्ध कोई अनुमान मौजूद है, अभियोजन पक्ष को अभी भी अपीलकर्ता के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोप के संबंध में उचित संदेह से परे आधारभूत तथ्य साबित करने की आवश्यकता होगी।

जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस जितेन्द्र कुमार की पीठ ने कहा कि यदि अभियोजन पक्ष द्वारा घटना के समय नाबालिग की आयु साबित करने वाला कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जाता है और न ही अभियुक्त के अपराध को साबित करने वाला कोई ठोस साक्ष्य मौजूद है तो अभियुक्त के विरुद्ध अनुमान प्रभावी नहीं होगा।

संक्षेप में न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के विरुद्ध अनुमान स्वतः नहीं उठेगा, अनुमान तभी उत्पन्न होगा, जब अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोप के संबंध में उचित संदेह से परे आधारभूत तथ्य स्थापित कर दे। तभी अभियुक्त को साक्ष्य प्रस्तुत करके और अभियोजन पक्ष के गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन करके अनुमान का खंडन करने का अवसर मिलता है।

जस्टिस जितेन्द्र कुमार द्वारा लिखे गए निर्णय में कहा गया,

"यह स्पष्ट रूप से उभर कर आता है कि POCSO Act 2012 की धारा 29 और 30 के बावजूद अभियोजन पक्ष यह साबित करने के अपने दायित्व से मुक्त नहीं है कि पीड़िता बच्ची है, यानी 18 वर्ष से कम आयु की है। उसके साथ अभियुक्त द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया और अभियोजन पक्ष को ऐसे आधारभूत तथ्यों को उचित संदेह से परे साबित करना होगा। एक बार अभियुक्त के खिलाफ़ अनुमान लगा लेने के बाद अभियुक्त अभियोजन पक्ष के गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन करके या अपने बचाव में साक्ष्य प्रस्तुत करके संभाव्यता की प्रबलता की कसौटी पर ऐसे अनुमान का खंडन कर सकता है। अनुमान कानून की दृष्टि में चमगादड़ हैं। वे धुंधलके में उड़ते हैं, लेकिन तथ्यों के प्रकाश में गायब हो जाते हैं।"

वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष पीड़िता की आयु साबित करने के लिए प्रासंगिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में विफल रहा था। अभियोजन पक्ष के गवाहों द्वारा दी गई गवाही में भौतिक विरोधाभास मौजूद थे। चूंकि यौन उत्पीड़न के अपराध के संबंध में आरोपी के खिलाफ आधारभूत तथ्य उचित संदेह से परे साबित नहीं हुए थे इसलिए अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई अनुमान नहीं बनता है।

अदालत ने कहा,

"ऐसे साक्ष्य के आधार पर यौन उत्पीड़न के आरोप को उचित संदेह से परे साबित नहीं किया जा सकता। इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ POCSO Act, 2012 की धारा 29 और 30 के तहत अनुमान लगाने का कोई सवाल ही नहीं है।"

तदनुसार अपील को अनुमति दी गई।

केस टाइटल- मंजीत राम @ मंजीत कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य।

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