क्या कांग्रेस की 'न्याय' योजना वोट के लिए रिश्वत है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब देने को कहा [आर्डर पढ़े]

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26 April 2019 7:59 AM GMT

  • क्या कांग्रेस की न्याय योजना वोट के लिए रिश्वत है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब देने को कहा [आर्डर पढ़े]

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस को उसकी न्याय योजना के ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका पर जवाब देने को कहा है।

    मोहित कुमार नामक एक वक़ील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कांग्रेस पार्टी का अपने घोषणापत्र में ग़रीबों को सालाना ₹72000 देने की न्यूनतम आय योजना और कुछ नहीं कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट देने के लिए रिश्वत देना है। वक़ील ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश देकर इस योजना की चर्चा को घोषणापत्र से निकाल दे और पार्टी और उसके उम्मीदवारों को न्याय योजना का लाभ उठाने से रोके।

    न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार ने इस बारे में जनप्रतिनिधित्व क़ानून के कुछ संगत प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि रिश्वत को कैसे परिभाषित किया गया है।

    पीठ ने चुनाव आयोग से जो दो प्रश्न पूछा है, वे हैं -

    (i) अगर किसी चुनावी घोषणापत्र में ऐसा कुछ वादा किया गया है जो धारा 123 के तहत "भ्रष्ट आचरण" की परिभाषा को संतुष्ट करता है जैसा कि वर्तमान मामले में, तो क्या चुनाव आयोग द्वारा तत्काल कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए …और ऐसी पार्टी या उसके उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराया जा सकता है या नहीं।

    (ii) अगर ऐसे वादे, जिसकी चर्चा ऊपर की गई है, कोई राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार अपने चुनावी घोषणापत्र में करता है, तो क्या चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई तरीक़ा है जिससे वह इस तरह की राजनीतिक पार्टी या उसके उम्मीदवारों को इस तरह के वादे वाले घोषणापत्र को छापने से रोक सके जो एमसीसी और जनप्रतिनिधित्व क़ानून, 1951 का उल्लंघन करते हैं।

    इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होनी है।


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