PM मोदी पर बायोपिक : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फिल्म देखकर सीलबंद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए

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15 April 2019 2:07 PM GMT

  • PM मोदी पर बायोपिक : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फिल्म देखकर सीलबंद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बायोपिक की पूरी फिल्म देखे और इस शुक्रवार तक सीलबंद कवर में कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपे कि क्या चुनाव के दौरान इसकी स्क्रीनिंग की अनुमति दी जा सकती है।

    "चुनाव आयोग इस फ़िल्म को देखे"

    एक संक्षिप्त आदेश में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की 3 जजों की पीठ ने कहा, "चुनाव आयोग के आदेश की मेरिट पर टिप्पणी किए बिना, इस स्तर पर, हम चाहेंगे कि चुनाव आयोग या उसके अधिकृत प्रतिनिधि इस फिल्म को देखें और उसके बाद एक बार फिर फिल्म की सार्वजनिक स्क्रीनिंग की बात पर विचार करें। "

    पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह शुक्रवार (19.04.2019) तक अपने फैसले को अंतिम रूप दे और परिणाम को सीलबंद कवर में कोर्ट को सूचित करे। अगर याचिकाकर्ता चुनाव आयोग या उसके अधिकृत प्रतिनिधि के सामने इसे देखने के लिए प्रार्थना करता है तो चुनाव आयोग इस पर विचार करेगा।

    फ़िल्म निर्माता पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट

    पीठ ने यह अंतरिम आदेश बायोपिक के निर्माता द्वारा दायर याचिका पर दिया जिसमें आरोप लगाया है कि आयोग ने बिना किसी अधिकार क्षेत्र के इस प्रतिबंध आदेश को पारित किया है।

    फ़िल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग ने पूरी फिल्म देखे बिना यह प्रतिबंध लगा दिया और यह फैसला सिर्फ ट्रेलर पर आधारित था।

    उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव आयोग की रोक, फ़िल्म निर्माताओं के बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। निर्माता ने यह तर्क दिया कि सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणन दिए जाने के बाद आयोग के पास फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। उन्होंने रोक हटाने और बायोपिक को तुरंत रिलीज करने की अनुमति देने की प्रार्थना की।

    क्या है यह पूरा मामला ?

    दरअसल 9 अप्रैल को चुनाव आयोग ने "राजनीतिक सामग्री" पर प्रतिबंध लगाने वाला एक आदेश पारित किया था। आदेश में यह कहा गया था, "इस तरह की राजनीतिक सामग्री" स्तर के खेल के मैदान के लिए एक गंभीर खतरा है क्योंकि यह टेलीविजन/सिनेमा/इंटरनेट आधारित मनोरंजन कार्यक्रमों/सोशल मीडिया के माध्यम से दिखाए जा रहे ऐसे कंटेंट की सत्यता की छाप पैदा कर सकता है। आयोग ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को रोकने के लिए चुनाव अवधि के दौरान इस तरह की राजनीतिक सामग्री पर रोक लगाई जानी चाहिए।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बायोपिक सहित कुछ फिल्मों की रिलीज के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शिकायतों के मद्देनजर यह आदेश पारित किया गया था। हालांकि आयोग ने यह माना कि ऐसी सामग्री 'विज्ञापनों 'की श्रेणी में नहीं आएगी, फिर भी उसने आशंकाओं को देखते हुए हस्तक्षेप करने की आवश्यकता महसूस की। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 अप्रैल को सूचीबद्ध किया है।

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