जस्टिस अरुण मिश्रा पर किसान संघ ने ली आपत्ति कहा, यह पीठ भूमि अधिग्रहण मामलों की सुनवाई नहीं कर सकती

LiveLaw News Network

14 Oct 2019 12:15 PM GMT

  • जस्टिस अरुण मिश्रा पर किसान संघ ने ली आपत्ति कहा, यह पीठ भूमि अधिग्रहण मामलों की सुनवाई नहीं कर सकती

    अखिल भारतीय किसान संघ ने 14 अक्टूबर को एक पत्र लिखा है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अनुरोध किया है कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली नवगठित संविधान पीठ भूमि अधि‍ग्रहण में उचि‍त मुआवजा एवं पारदर्शि‍ता का अधि‍कार, सुधार तथा पुनर्वास अधिनि‍यम, 2013 की धारा 24(2) की व्याख्या के बारे में मामलों की सुनवाई नहीं कर सकती।

    अपने अध्यक्ष के माध्यम से एसोसिएशन ने अनुरोध किया है कि न्यायमूर्ति मिश्रा पीठ का नेतृत्व नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने पहले ही 2018 के फैसले में 2014 के फैसले की सटीकता पर संदेह जताकर मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए थे। संविधान पीठ के सामने आए पांच मुद्दों में से एक को जे मदन लोकुर ने आगे बढ़ाया था, जो 2014 के फैसले का हिस्सा थे। उन्होंने कहा था कि वह 2018 के फैसले से सहमत नहीं थे।

    इसे एक कारण के रूप में उद्धृत करते हुए इस सिद्धांत के साथ कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए भी दिखना चाहिए, एसोसिएशन ने प्रार्थना की है कि न्यायमूर्ति मिश्रा को मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

    आवेदक को जैसे ही पता चला कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली नवगठित पीठ अधिनियम की धारा 24 से संबंधित मामले की सुनवाई करने जा रही है। आवेदक सम्मानपूर्वक प्रार्थना की है कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के फैसले पर जस्टिस मदन लोकुर द्वारा संदेह व्यक्त किया गया था। इसके बाद मामले को पांच न्यायाधीशों (पीठ) को भेजा गया था, इसलिए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए भी दिखना चाहिए सिद्धांत के अनुसार सुनवाई नहीं कर सकते।

    12 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचित किया था कि जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस रवींद्र भट की ५ न्यायाधीशों की संविधान पीठ 15 अक्टूबर से भूमि अधिग्रहण अधिनियम से जुड़े पांच मामलों की सुनवाई शुरू करेगी।

    धारा 24 (2) के अनुसार, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के अनुसार शुरू की गई अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो जाएगी, अगर पांच साल के भीतर भूमि मालिकों को "मुआवजा नहीं दिया गया है"।

    किसान संघ का पत्र डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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