आर्टिकल 370 : 35 A के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल

LiveLaw News Network

7 Aug 2019 12:14 PM GMT

  • आर्टिकल  370 :  35 A के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल

    राष्ट्रपति का आदेश, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति को हटाया गया है, पूरी तरह असंवैधानिक है और सरकार को इसके बजाय संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों का उपयोग करके इस अनुच्छेद को समाप्त नहीं किया जा सकता|

    केंद्र सरकार के जम्मू- कश्मीर के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के आदेश पर अब सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35 A के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाली महिला ने कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि इस मुद्दे पर कोई भी आदेश जारी करने से पहले उनकी बात सुनी जाए।

    इससे पहले इस फैसले के खिलाफ वकील एम एल शर्मा ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।याचिका में उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति का आदेश, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति को हटाया गया है, पूरी तरह असंवैधानिक है और सरकार को इसके बजाय संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों का उपयोग करके इस अनुच्छेद को समाप्त नहीं किया जा सकता है और इसलिए आदेश संविधान के विपरीत है।

    वहीं वकील चारू वली खन्ना ने भी अब इस मुद्दे पर कैविएट याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में वकील चारू वली खन्ना की ओर से भी संविधान के अनुच्छेद 35ए और जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रावधान छह को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कुछ विशेष प्रावधानों को चुनौती दी गयी है- राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना। इस प्रावधान के तहत राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है और उसके बेटे को भी संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता।

    सबसे पहले वी द सिटीजन नामक संगठन ने 2014 में ये याचिका दाखिल की थी। इसके बाद कई अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं और ये मामला फिलहाल लंबित है। पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच द्वारा की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई करेगी और फिर इसे पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजेगी।

    संविधान में 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार और सुविधाएं देता था।

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