असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने दावे- आपत्तियां दर्ज कराने की डेडलाइन 15 से बढ़ाकर 31 दिसंबर की

LiveLaw News Network

12 Dec 2018 10:47 AM GMT

  • असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने दावे- आपत्तियां दर्ज कराने की डेडलाइन 15 से बढ़ाकर 31 दिसंबर की

    असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका ( NRC ) से छोड़े गए 40 लाख लोगों के दावों और आपत्तियों को दर्ज कराने की डेडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।

    न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति  रोहिंटन नरीमन की पीठ ने असम सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दावों और आपत्तियों की वैरीफिकेशन का डेडलाइन भी 1 फरवरी 2019 से बढ़ाकर 15 फरवरी 2019 कर दी है।

    बुधवार को सुनवाई के दौरान NRC कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला मे पीठ को बताया कि अभी तक 40 लाख में से 14.28 लाख लोगों ने दावे और आपत्ति दर्ज कराई हैं।

    दरअसल असम राज्य ने अपनी याचिका में राज्य में पंचायत चुनावों का उल्लेख करते हुए और दावों और आपत्तियों की संपूर्ण प्रकृति के चलते डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी। असम सरकार ने कहा था कि अशिक्षित और कम पढे-लिखे लोगों के लिए ये मुश्किम काम है।असम सरकार ने कहा कि ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी के पंचायत क्षेत्रों में लोग "लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं" और लोगों के बीच SOP के उचित ज्ञान की कमी के चलते दावों की संख्या न्यूनतम है।

    राज्य सरकार ने फाइनल NRC में दावेदारों को पांच अतिरिक्त दस्तावेजों को भी शामिल करने की अनुमति देने को भी आधार बताया है और कहा है कि इससे इस प्रक्रिया पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है, खासकर तब जब  3.28 करोड़ आवेदकों में से बहुमत यानी 93 फीसदी लोगों ने 1951 के NRC  या 24 मार्च 19 71 तक की मतदाता सूची के आधार पर शामिल करने के लिए आवेदन किया है।

    इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने SOP पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सुझाव लेने की मांग खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति  रोहिंटन नरीमन की पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल SOP  रिकॉर्ड करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी राजनीतिक दल या नए हस्तक्षेपकर्ताओं को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा SOP के मसौदे में अपने आपत्ति / सुझाव दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बेंच ने NRC के मसौदे में छोड़ी गई आबादी के जिलावार प्रतिशत की एक मुहरबंद कवर रिपोर्ट मांगी थी जिसमें असम में 40 लाख से ज्यादा लोगों को नागरिकता के निर्धारण के लिए हटा दिया था।दरअसल अपने हलफनामे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि गैर-समावेश के कारणों के बारे में लोगों को सूचित करने की प्रक्रिया 10 अगस्त को शुरू की गई है। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा था कि अदालत SOP पर इस चरण में कोई टिप्पणी या अवलोकन नहीं कर रही, भले ही याचिकाकर्ता असम लोक निर्माण, अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू), अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ और जमीयत-ए-उलेमा SOP को लेकर अपनी आपत्तियो और सुझावों को दर्ज करा सकते हैं।

    पीठ ने कुछ अन्य संगठनों की याचिका खारिज कर दी जो 'SOP' पर अपने सुझाव और आपत्तियों के लिए अपने हस्तक्षेप आवेदनों को दर्ज करना चाहते थे। न्यायमूर्ति गोगोई ने यह भी स्पष्ट किया था कि इस मामले में किसी भी राजनीतिक दल को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीठ ने हजेला से प्रत्येक पंचायत कार्यालय, सरकारी प्रतिष्ठानों और NRC केंद्रों में NRC के मसौदे की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए कहा था ताकि लोगों को उनके दावे और आपत्तियां दर्ज  करने में आसानी हो सके।अदालत ने यह भी कहा था कि ड्राफ्ट में उल्लिखित अन्य समय-सारिणी इस समय लागू नहीं होगी और अदालत इसका फैसला करेगी। सर्वोच्च न्यायालय लगातार NRC अपडेट की निगरानी कर रहा है।

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