पुलिस संदेह पर किसी नागरिक की अचल संपत्ति को सील नहीं कर सकती : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

14 July 2018 1:26 PM GMT

  • पुलिस संदेह पर किसी नागरिक की अचल संपत्ति को सील नहीं कर सकती : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

    सीआरपीसी की धारा 102 के तहत ‘जब्त’ का अर्थ है सर्फ चल संपत्ति को अपने कब्जे में लेना”

     छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निसार हुसैन बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में अपने फैसले में कहा कि पुलिस को अचल संपत्ति को सील करने का अधिकार नहीं है और सीआरपीसी की धारा 102 के तहत ‘जब्त’ का मतलब है चल संपत्ति को कब्जे में लेना।

     न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल ने सुधीर वसंत कर्नाटकी मोहिदीन मुहम्मद शेख दाऊद बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा सीआरपीसी की धारा 102 के तहत कार्रवाई करते हुए पुलिस अचल संपत्ति को जब्त नहीं कर सकती।

     सीआरपीसी की धारा 102 कुछ संपत्तियों को जब्त करने के बारे में पुलिस के अधिकारों से संबंधित है। इसमें कहा गया है : कोई पुलिस अधिकारी ऐसी किसी भी संपत्ति को जब्त कर सकता है जिसके बारे में संदेह है या आरोप है कि वह चुराई गई है या किसी अपराध से वह संबद्ध है।

     इस मामले में, पुलिस ने इस आधार पर एक दूकान को सील कर दिया कि इस दूकान में रखी कुछ वस्तुओं का संज्ञेय अपराध से संबंध है।

     कोर्ट ने इस संबंध में बिश्वनाथ पॉल बनाम झारखंड राज्य मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि जांच के क्रम में सीआरपीसी की धारा 102 के तहत पुलिस किसी अचल संपत्ति को सील नहीं कर सकती।

    सीआरपीसी की धरा 102 की परिधि और स्कोप को ध्यान में रखते हुए और सुधीर वसंत कर्नाटकी मोहिदीन मुहम्मद शेख दाऊद मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले को देखते हुए इस कोर्ट की भी यही राय है कि जब्त का अर्थ है चल संपत्ति की वास्तवकि जब्ती। मैं अचल संपत्ति को कुर्क करने के बारे में सीआरपीसी की धारा 102(1) के तहत पुलिस अधिकारी के अधिकारों के बारे में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्ण पीठ के फैसले से पूर्ण इत्तफाक रखता हूँ,” पीठ ने कहा।

    इसके बाद कोर्ट ने एसएचओ को अचल संपत्ति पर लगाए गए सील को हटाने का निर्देश दिया और दूकान में रखी वस्तुओं की सूचि तैयार करने के बाद इस परिसर को खाली करने का निर्देश दिया। पुलिस को यह निर्देश भी दिया गया कि वह इस तरह जब्त की गई वस्तुओं को जरूरत पड़ने पर कोर्ट में पेश करे।


     
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