यह धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं, लेकिन सुनिश्चित करें कि उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के ज्योतिर्लिंग को कोई नुकसान न पहुंचे : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

5 May 2018 4:35 AM GMT

  • यह धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं, लेकिन सुनिश्चित करें कि उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के ज्योतिर्लिंग को कोई नुकसान न पहुंचे : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    लिंगम कोमृत्युंजय महादेव” कहा जाता है जो विनाश से बचाता है, ऐसे में उसी के विनाश की इजाजत नहीं दी जा सकती। लिंगम के ऐसे प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह नष्ट हो जाए। अगर कोई वास्तविक पूजा में विश्वास करता है, तो यह पूजा शुद्ध विचारों की तरह ही शुद्ध वस्तुओं से की जानी चाहिए, पीठ ने कहा।

    उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा पर प्रतिबंध लगाने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज्योतिर्लिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाना है।

    न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा कि लिंगम पर जो सारी वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं इस बारे में उचित योजना बनाई जाए कि ये सभी वस्तुएं मंदिर में ही बनाई जाए जैसा दक्षिण भारत और अन्य हिस्सों के प्रसिद्ध मंदिरों में किया जाता है।

    मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह बात कही। कोर्ट ने इस विशेष अनुमति याचिका को इसलिए स्वीकार किया क्योंकि ऐसे बहुत रिपोर्ट आए हैं जिनमें विभिन्न कारणों से लिंगम पर खतरे की आशंका जाहिर की गई थी और इसके तहत नोटिस जारी किया गया ताकि इसको बचाया जा सके।

    “मिलावटी और रसायन मिश्रित दूध, घी, कुंकुम, गुलाल, अबीर चढ़ाना अनुचित है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। लिंगम को रासायनिक प्रतिक्रया से नष्ट होने की इजाजत नहीं दी जा सकती और लोग ऐसा भोलेपन में करते हैं और वे लिंगम पर इन वस्तुओं के कुप्रभाव से वाकिफ नहीं हैं। अगर श्रद्धालु इनसे वाकिफ होते...तो सपने में भी वे ऐसा नहीं करते”, कोर्ट ने कहा। कोर्ट ने कहा कि मंदिर की समिति और इसमें दिलचस्पी रखने वाले अन्य लोगों को उचित समय सीमा के तहत इस पर समुचित कदम उठाना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा कि यह मंदिर समिति पर है, कि वह धर्मग्रंथों और विशेषज्ञों की मदद से इन कर्मकांडों और पूजा में किस तरह की वस्तुओं का प्रयोग हो, कितना हो और किस तरह से हो इस बारे में निर्णय ले।

    कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया कि मंदिर से सम्बद्ध सभी लोग और निकाय यह तय करें कि यहाँ पूजा में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं का उत्पादन/निर्माण मंदिर खुद ही करे ताकि इन वस्तुओं की शुद्धता सुनिश्चित की जा सके और उसे ही यहाँ पूजा में प्रयोग में लाया जाए।

    मिश्रा ने कहा, लिंगम को “मृत्युंजय महादेव” कहा जाता है जो विनाश से बचाता है, ऐसे में उसी के विनाश की इजाजत नहीं दी जा सकती। लिंगम के ऐसे प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह नष्ट हो जाए। अगर कोई वास्तविक पूजा में विश्वास करता है, तो यह पूजा शुद्ध विचारों की तरह ही शुद्ध वस्तुओं से की जानी चाहिए, पीठ ने कहा।

     इसकी गलत रिपोर्ट करें

    पीठ ने कहा कि इस आदेश के बारे में गलत रिपोर्टिंग न की जाए। “इस दृष्टि से किसी भी चूक को गंभीरता से लिया जाएगा और जहां भी जरूरत हुई, इसके गंभीर परिणाम होंगे। यहाँ यह स्पष्ट किया जाता है कि हमने मंदिर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में कोई दखलंदाजी नहीं की है”, कोर्ट ने कहा। इससे पहले अपने एक आदेश में पीठ ने इस बारे में मीडिया में होने वाली रिपोर्टिंग पर नाराजगी जाहिर की थी। “उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में धार्मिक समारोह कैसे आयोजित किए जाएंगे हमने इस बारे में कोई अंतरिम निर्देश नहीं दिया है। इस कोर्ट ने इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया है कि भष्म आरटी के दौरान कौन से अनुष्ठान किये जा सकते हैं और कौन से नहीं और इस तरह के अनुष्ठान में हस्तक्षेप करना कोर्ट का काम भी नहीं है। इस कोर्ट ने इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया है। हम लिंगम की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं और कैसे यह सुनिश्चित किया जा सकता है,” कोर्ट ने अपने आदेश में कहा।


     
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