सुप्रीम कोर्ट ने CBSE पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच व दोबारा परीक्षा को लेकर दाखिल सभी PIL खारिज़ कीं

LiveLaw News Network

4 April 2018 10:07 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने CBSE पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच व दोबारा परीक्षा को लेकर दाखिल सभी PIL खारिज़ कीं

    न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सीबीएसई की 12 वीं और 10 वीं कक्षा के अर्थशास्त्र और गणित के प्रश्नपत्रों के लीक की हालिया घटना के मद्देनजर  दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी।

     यह परीक्षा नियंत्रक द्वारा जारी अधिसूचना के प्रकाश में था जिसमें सीबीएसई ने दसवीं गणित की दोबारा परीक्षा के खिलाफ घोषणा की है।

    रोहन मैथ्यू बनाम सीबीएसई 

    दसवीं कक्षा के  एक छात्र ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निर्णय पत्र के संदेह के संदेह पर 28 मार्च को आयोजित गणित परीक्षा को रद्द करने और पुनः संचालन के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

     उनके अनुसार, देश और विदेशों में 11 क्षेत्रों में लगभग 16 लाख छात्रों ने परीक्षा में भाग लिया। अनिश्चित संदेह है कि सीबीएसई के दिल्ली क्षेत्र में आने वाले कुछ क्षेत्रों में प्रश्नपत्र लीक किए गए थे। इसलिए, उन्होंने कहा कि पूरे छात्र समुदाय को एक ऐसी घटना के लिए किसी भी सबूत के अभाव मेंदंडित करना जो कथित तौर पर एक केंद्र में हुई थी,  मनमाना और अवैध है।

     याचिकाकर्ता की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ वकील साजन पौवेया  ने सीबीएसई के 3 अप्रैल की अधिसूचना के प्रकाश में रिट याचिका वापस ले ली जिसमें बोर्ड ने दसवीं कक्षा के लिए गणित  परीक्षा को दोबारा ना  कराने का निर्णय लिया है।

    रीपक कंसल बनाम भारत संघ 

    वकील  रीपक कंसल द्वारा दायर याचिका में   बेंच के समक्ष कहा गया था कि 28 मार्च को सीबीएसई ने 12 और 10 कक्षाओं के पेपर लीक होने के बाद अर्थशास्त्र और गणित  की परीक्षाओं का पुन: आयोजन करने का फैसला किया था।

    पुन: परीक्षा का निर्णय आनुपातिकता और तर्कसंगतता (अनुच्छेद 14 के तहत) के परीक्षण के विपरीत है।

     याचिका को खारिज करते हुए, बेंच ने टिप्पणी की, "इस अदालत के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है कि वो देखे कि पेपर लीक हो गया है ... रिट क्षेत्राधिकार में, हम लीक के प्रभाव की जांच नहीं कर सकते ... यह अधिकारियों कीशक्ति के भीतर आता है ... "

    महेंद्र प्रताप सिंह बनाम सीबीएसई 

     याचिका में सीबीएसई को प्रश्न पत्र के लीक के बाद 12 वीं के छात्रों के लिए इकोनॉमिक्स पेपर दोबारा ना कराने  का निर्देश मांगा था। याचिका में यह भी कहा गया कि यदि सभी परीक्षाओं में आयोजित किया जाए  तो उसे वैकल्पिक बना दिया जाना चाहिए और अनिवार्य नहीं होना चाहिए।

    विदेशों में गर्मी प्रशिक्षण / इंटर्नशिप के कारण आर्थिक हानि और असुविधा के आधार और प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी का उल्लेख किया गया था।

    दलील को खारिज करते हुए बेंच ने टिप्पणी की, "यह एक नैतिक अवधारणा नहीं है कि कोई परीक्षा वैकल्पिक हो।”

    अलख आलोक श्रीवास्तव बनाम भारत संघ 

    याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की थी कि चार सप्ताह के भीतर कक्षा 12 की  सभी विषयों की दोबारा परीक्षा कराई जाए ना केवल अर्थशास्त्र के पेपर की। इसके अलावा  उन्होंने इस मामले में सीबीआई से स्वतंत्र जांच की मांग की थी। उन्होंने अनुरोध किया कि सीबीएसई और एचआरडी मंत्रालय को पुनः परीक्षा में उपस्थित होने के कारण  मानसिक पीड़ा, मानसिक तनाव और असुविधा के लिए 12 वीं के विद्यार्थियों को 1 लाख रुपये नुकसान का भुगतान करना चाहिए।”

    पीठ ने बुधवार को उपरोक्त प्रार्थनाओं में से किसी को भी स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

    अनुसूया थॉमस बनाम सीबीएसई  

    15 वर्षीया अनुसूया और गायत्री थॉमस पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल की छात्रा हैं और उन्होंने याचिका में सवाल उठाए थे कि सीबीएसई ने जुलाई में दोबारा परीक्षा कराने की फैसला क्यों लिया।  वकील पल्लवी प्रताप द्वारा दायर अपनी याचिका में छात्राओं ने 30 मार्च को सीबीएसई द्वारा कक्षा X की गणित की फिर से परीक्षा कराने और इसे सिर्फ दिल्ली एनसीआर और हरियाणा तक सीमित  करने के  प्राथमिक निर्णय को रद्द करने की मांग की है जिसमें कहा गया कि  प्रश्नपत्र लीक इन क्षेत्रों तक सीमित था।

     उन्होंने यह भी सवाल किया कि सीबीएसई ने जुलाई में फिर से परीक्षा आयोजित करने का फैसला क्यों किया, जब छात्रों को नए सत्र में

    जाना है। उन्होंने कहा कि छात्र पहले से ही बहुत तनाव से गुजर रहे हैं और इससे  उनके तनाव में बढ़ोतरी होगी जो जनवरी से ही मॉक टेस्ट आदि आदि ले कर बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। ये फैसला  पूरी तरह से मनमाना और अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रावधान के खिलाफ जाता है।

    पीठ ने किसी भी प्रार्थना पर विचार करने से इंकार कर दिया।

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