अग्रिम जमानत के मुद्दे पर निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिया 6 सप्ताह का समय

LiveLaw News Network

16 March 2018 10:35 AM GMT

  • अग्रिम जमानत के मुद्दे पर निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिया 6 सप्ताह का समय

    उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को राज्य में अग्रिम जमानत के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की।

    न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एलएन राव ने राज्य सरकार की इस अपील पर उसे 6 सप्ताह का समय दिया है ताकि वह यह निर्णय कर सके कि राज्य अपराध संहिता (यूपी) संशोधन विधेयक, 2010 को विधानसभा में पेश किया जाए या नहीं। इस विधेयक को राष्ट्रपति ने सितम्बर 2011 में तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था।

    उत्तर प्रदेश सरकार की पैरवी करते हुए उसके वकील ऐश्वर्य भाटी ने कहा, “हम (सरकार) इस मामले की शीर्ष स्तर पर जांच कर रहे हैं जिसके लिए हमें 6 सप्ताह का समय चाहिए।”

    इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “आप काफी ज्यादा समय ले रहे हैं। अब ज्यादा समय की मांग नहीं कीजिये”।

    इस पर भाटी ने कहा, “हमें एक अंतिम मौक़ा दीजिये”।

    इससे पहले पीठ ने इस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा वापस किए जाने पर राज्य विधानसभा में पेश नहीं करने के लिए उसकी आलोचना की थी।

    पीठ ने पूछा, “आप इस मामले में कुछ करने को इच्छुक हैं कि नहीं...सरकार संशोधन के साथ इस विधेयक को पास कर अपनी संवैधानिक दायित्व को पूरा क्यों नहीं करना चाहती है”।

    कोर्ट इस मामले में संजीव भटनागर नामक एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। भटनागर ने अपनी याचिका में कहा है कि अग्रिम जमानत के प्रावधान देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी लागू होने चाहिएं।

    आपातकाल के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने 1976 में सीआरपीसी को संशोधित कर अग्रिम जमानत के प्रावधान को वापस ले लिया था। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा देश के सभी राज्यों में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू हैं।

    हालांकि, मायावती की सरकार ने राज्य में 2010 में संशोधन कर अग्रिम जमानत को दुबारा लागू करने संबंधी विधेयक को विधानसभा से पास किया पर राष्ट्रपति ने इसे तकनीकी आधार पर वापस कर दिया। उसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार इस विधेयक को जरूरी संशोधन के साथ दुबारा पास नहीं करा पाई है।

    Next Story