सुप्रीम कोर्ट गैरकानूनी निर्माण करने वालों को राहत देने वाले दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2006 की वैधता की पड़ताल करेगा

LiveLaw News Network

15 Feb 2018 2:09 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट गैरकानूनी निर्माण करने वालों को राहत देने वाले दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2006 की वैधता की पड़ताल करेगा

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो महीने पहले एनसीटी दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2017 क़ानून पास किया जिसके द्वारा दिल्ली में गैर कानूनी निर्माण को माफी दे दी गई और उनके  गैरकानूनी निर्माणों को सील करने या उनको गिराने पर 31 दिसंबर 2020 तक रोक लगा दी गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इससे पहले जो क़ानून था – दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2006, उसकी जांच करेगा।

    यह मुद्दा एमसी मेहता बनाम भारत सरकार सीलिंग मामले पर सुनवाई के दौरान उठा जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ कर रही थी। पीठ डीडीए द्वारा 2021 के मास्टर प्लान को संशोधित करने की योजना की जांच कर रहा है।

    इस समय चल रहे सीलिंग अभियान से राहत के लिए लोगों के आवेदन आ रहे हैं जिसके बाद इस क़ानून की वैधता का मुद्दा उठा।

    वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने अमाइकस क्यूरी के रूप में दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2006 से संबंधित दस्तावेजों के पांच वॉल्यूम कोर्ट को सौंपे। कोर्ट 2 अप्रैल 2018 को इसकी जांच करेगा।

    अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली क़ानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2006 को चुनौती देने वाली इन रिट याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था ताकि इनकी सुनवाई जल्द हो सके।

    पर 15 दिसम्बर 2017 को पीठ ने इस मामले को दुबारा अपने पास बुला लिया और फिर तबसे इसकी वह सुनवाई कर रहा है।

    पीठ ने 10 फरवरी को दिल्ली पुलिस को निर्माण कार्य का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी भय के कार्रवाई करने को कहा भले ही दोषी कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो। पीठ ने दिल्ली के बीजेपी विधायक ओपी शर्मा और पार्टी के पार्षद गुंजन गुप्ता के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था क्योंकि इन लोगों ने उत्तर पूर्व दिल्ली के शाहदरा इलाके में गैरकानूनी सीलिंग हटाने में रुकावट पैदा कर रहे थे।

    शर्मा और गुप्ता को 6 मार्च को कोर्ट में खुद उपस्थित रहने को कहा गया है।

    पीठ ने डीडीए, महानगर निगमों और केजरीवाल सरकार से भी पूछा कि दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में बदलाव का सुझाव देने से पहले पर्यावरण पर इसके संभावित प्रभाव का कोई अध्ययन किया गया है कि नहीं।

    मास्टर प्लान में बदलाव की सोचने और गैर कानूनी निर्माण करने वाले व्यापारियों को सीलिंग से बचाने का प्रयास करने वाले डीडीए की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने विगत में हुई दुर्घटनाओं से कुछ सीखा नहीं है और पूछा कि डीडीए का पूरा नाम क्या दिल्ली डिस्ट्रक्शन अथॉरिटी (दिल्ली विनाश प्राधिकरण) है।

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